Listen to Bhajan by Hari Om Sharan
मैली चादर ओढ़ के कैसे, द्वार तुम्हारे आऊँ ।
हे पावन परमेश्वर मेरे, मन ही मन शरमाऊं ॥
तूने मुझको जग में भेजा, निर्मल देकर काया ।
आकर के संसार में मैंने, इसको दाग लगाया ।
जनम जनम की मैली चादर, कैसे दाग छुड़ाऊं ॥
निर्मल वाणी पाकर मैने, नाम न तेरा गाया ।
नयन मूंद कर हे परमेश्वर, कभी न तुझको ध्याया ।
मन वीणा की तारें टूटीं, अब क्या गीत सुनाऊं ॥
इन पैरों से चल कर तेरे मन्दिर कभी न आया ।
जहां जहां हो पूजा तेरी, कभी न शीश झुकाया ।
हे हरि हर, मैं हार के आया, अब क्या हार चढ़ाऊं ॥
2 टिप्पणियां:
धन्यवाद बहुत सुन्दर भजन हे
bahut bahut shukriya,
pankaj pushkar
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