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बुधवार, नवंबर 11, 2009

भजन - राधा रास बिहारी मोरे मन में आन समाये

Radha Raas Bihari - MP3 Audio
By Preeti Chandra

राधा रास बिहारी
मोरे मन में आन समाये ।

निर्गुणियों के साँवरिया ने
खोये भाग जगाये ।

मैं नाहिं जानूँ आरती पूजा
केवल नाम पुकारूं ।

साँवरिया बिन हिरदय दूजो
और न कोई धारूँ ।

चुपके से मन्दिर में जाके
जैसे दीप जलाये ॥

राधा रास बिहारी
मोरे मन में आन समाये ।

दुःखों में था डूबा जीवन
सारे सहारे टूटे ।

मोह माया ने डाले बन्धन
अन्दर बाहर छूटे ॥

कैसी मुश्किल में हरि मेरे
मुझको बचाने आये ।

राधा रास बिहारी मोरे
मन में आन समाये ॥

दुनिया से क्या लेना मुझको
मेरे श्याम मुरारी ॥

मेरा मुझमें कुछ भी नाहिं
सर्वस्व है गिरिधारी ।

शरन लगा के हरि ने मेरे
सारे दुःख मिटाये ॥

राधा रास बिहारी मोरे
मन में आन समाये ॥

मंगलवार, नवंबर 10, 2009

भजन - दीनबन्धु दीनानाथ, मेरी तन हेरिये

Dinabandhu Dinanath - MP3 Audio
By Shri V N Shrivastav 'Bhola'

दीनबन्धु दीनानाथ, मेरी तन हेरिये ॥

भाई नाहिं, बन्धु नाहिं, कटुम-परिवार नाहिं ।
ऐसा कोई मीत नाहिं, जाके ढिंग जाइये ॥

खेती नाहिं, बारी नाहिं, बनिज ब्योपार नाहिं
ऐसो कोउ साहु नाहिं जासों कछू माँगिये ॥

कहत मलूकदास छोड़ि दे पराई आस,
रामधनी पाइकै अब काकी सरन जाइये ॥

रविवार, नवंबर 08, 2009

भजन - प्रभु तेरो नाम

Prabhu Tero Naam - MP3 Audio
By Lata Mangeshkar for the Film 'Hum Dono'

प्रभु तेरो नाम
जो ध्याये फल पाये,
सुख लाये तेरो नाम
प्रभु तेरो नाम
जो ध्याये फल पाये,
सुख लाये तेरो नाम

तेरी दया हो जाये तो दाता
तेरी दया हो जाये तो दाता
जीवन धन मिल जाये, मिल जाये
मिल जाये, सुख लाये तेरो नाम
जो ध्याये फल पाये,
सुख दायी तेरो नाम

तू दानी तू अन्तरयामी
तू दानी
तू दानी तू अन्तरयामी
तेरी कृपा हो जाये तो स्वामी
हर बिगड़ी बन जाये
जीवन धन मिल जाये, मिल जाये
मिल जाये, सुख लाये तेरो नाम
जो ध्याये फल पाये,
सुख लाये तेरो नाम

बस जाये मोरा सूना अंगना
बस जाये
बस जाये मोरा सूना अंगना
खिल जाये मुरझाया सपना
जीवन में रस आये
जीवन धन मिल जाये, मिल जाये
मिल जाये, सुख लाये तेरो नाम

जो ध्याये फल पाये, सुख लाये तेरो नाम
जो ध्याये फल पाये, सुख लाये तेरो नाम

बुधवार, नवंबर 04, 2009

भजन - रे मन हरि सुमिरन करि लीजै

MP3 Audio

रे मन हरि सुमिरन करि लीजै ॥

हरिको नाम प्रेमसों जपिये, हरिरस रसना पीजै ।
हरिगुन गाइय, सुनिय निरंतर, हरि-चरननि चित दीजै ॥

हरि-भगतनकी सरन ग्रहन करि, हरिसँग प्रीति करीजै ।
हरि-सम हरि जन समुझि मनहिं मन तिनकौ सेवन कीजै ॥

हरि केहि बिधिसों हमसों रीझै, सो ही प्रश्न करीजै ।
हरि-जन हरिमारग पहिचानै, अनुमति देहिं सो कीजै ॥

हरिहित खाइय, पहिरिय हरिहित, हरिहित करम करीजै ।
हरि-हित हरि-सन सब जग सेइय, हरिहित मरिये जीजै ॥