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रविवार, सितंबर 28, 2008

सब दुखियों का सहारा है

मेरा राम सब दुखियों का सहारा है।

उसके पास दौड़ वह जाता
जो आरत जन उसे बुलाता।
गीध अजामिल गज गणिका को
उसने पार उतारा है।
वह सब दुखियों का सहारा है ...

देश-विदेश जहाँ जो रहता
प्रभु सबकी ही रक्षा करता।
सब प्राणी हैं उसको प्यारे
वह सबका रखवारा है।
वह सब दुखियों का सहारा है ...

सब पर सुख की वर्षा करता
दुखियों के सारे दुख हरता।
पतित जनों को पावन करता
केवल राम हमारा है।
वह सब दुखियों का सहारा है ...

सबकी नैया पार करेगा
सबके सारे कष्ट हरेगा।
वह सबका उद्धार करेगा
यह विश्वास हमारा है।
वह सब दुखियों का सहारा है ...

राम बिराजो हृदय भवन में

राम बिराजो हृदय भवन में
तुम बिन और न हो कुछ मन में


अपना जान मुझे स्वीकारो ।
भ्रम भूलों से बेगि उबारो ।
मोह जनित संकट सब टारो ।
उलझा हूँ मैं भव बंधन में।
राम बिराजो हृदय भवन में ...


तुम जानो सब अंतरयामी ।
तुम बिन कुछ भाये ना स्वामी ।
प्रेम बेल उर अंतर जामी ।
तुम ही सार वस्तु जीवन में।
राम बिराजो हृदय भवन में ...


निज चरणों में तनिक ठौर दो ।
चाहे स्वामी कुछ न और दो ।
केवल अपनी कृपा कोर दो ।
रामामृत भर दो जीवन में।
राम बिराजो हृदय भवन में ...

भज मन मेरे राम नाम तू

भज मन मेरे राम नाम तू
गुरु आज्ञा सिर धार रे।
नाम सुनौका बैठ मुसाफि़र
जा भवसागर पार रे।

राम नाम मुद मंगल कारी ।
विघ्न हरे सब पातक हारी।
साँस साँस श्री राम सिमर मन
पथ के संकट टार रे।
भज मन मेरे ...

परम कृपालु सहायक है वो।
बिनु कारन सुख दायक है वो।
केवल एक उसी के आगे।
साधक बाँह पसार रे।
भज मन मेरे ...

गहन अंधेरा चहुं दिश छाया ।
पग पग भरमाती है माया।
जीवन पथ आलोकित कर ले ।
नाम - सुदीपक बार रे।
भज मन मेरे ...

परम सत्य है परमेश्वर है ।
नाम प्रकाश पुन्य निर्झर है ।
उसी ज्योति से ज्योति जला निज।
चहुं दिश कर उजियार रे।
भज मन मेरे ...

भज मन मेरे राम नाम तू गुरु आज्ञा सिर धार रे।

राम राम काहे ना बोले

राम राम काहे ना बोले ।
व्याकुल मन जब इत उत डोले।

लाख चौरासी भुगत के आया ।
बड़े भाग मानुष तन पाया।
अवसर मिला अमोलक तुझको।
जनम जनम के अघ अब धो ले।
राम राम ...

राम जाप से धीरज आवै ।
मन की चंचलता मिट जावै।
परमानन्द हृदय बस जावै ।
यदि तू एक राम का हो ले।
राम राम ...

इधर उधर की बात छोड़ अब ।
राम नाम सौं प्रीति जोड़ अब।
राम धाम में बाँह पसारे ।
श्री गुरुदेव खड़े पट खोले।
राम राम ...

राम दो निज चरणों में स्थान

राम दो निज चरणों में स्थान
शरणागत अपना जन जान


अधमाधम मैं पतित पुरातन ।
साधन हीन निराश दुखी मन।
अंधकार में भटक रहा हूँ ।
राह दिखाओ अंगुली थाम।
राम दो ...

सर्वशक्तिमय राम जपूँ मैं ।
दिव्य शान्ति आनन्द छकूँ मैं।
सिमरन करूं निरंतर प्रभु मैं ।
राम नाम मुद मंगल धाम।
राम दो ...

केवल राम नाम ही जानूं ।
और धर्म मत ना पहिचानूं ।
जो गुरु मंत्र दिया सतगुरु ने।
उसमें है सबका कल्याण।
राम दो ...

हनुमत जैसा अतुलित बल दो ।
पर-सेवा का भाव प्रबल दो ।
बुद्धि विवेक शक्ति सम्बल दो ।
पूरा करूं राम का काम।
राम दो निज चरणों में स्थान

पायो निधि राम नाम

पायो निधि राम नाम।
सकल शांति सुख निधान।

सिमरन से पीर हरे ।
काम क्रोध मोह जरे।
आनन्द रस अजर झरे ।
होवे मन पूर्ण काम।
पायो निधि ...

रोम रोम बसत राम।
जन जन में लखत राम ।
सर्व व्याप्त ब्रह्म राम ।
सर्व शक्तिमान राम।
पायो निधि ...

ज्ञान ध्यान भजन राम ।
पाप ताप हरन नाम।
सुविचारित तथ्य एक ।
आदि अंत राम नाम।
पायो निधि ...

अशरन के शरन राम।
दारिद दुख हरन राम ।
अतिशय शुभ करन नाम ।
राम राम राम राम।
पायो निधि राम नाम ...

गुरु आज्ञा में निश दिन रहिये

गुरु आज्ञा में निश दिन रहिये ।
जो गुरु चाहे सोयि सोयि करिये॥


गुरु चरनन रज मस्तक दीजे ।
निज मन बुद्धि शुद्ध कर लीजे।

आँखिन ज्ञान सुअंजन दीजे ।
परम सत्य का दरशन करिये॥

गुरु आज्ञा में निश दिन रहिये॥


गुरु अँगुरी दृढ़ता से धरिये ।
साधक नाम सुनौका चढिये।

खेवटिया गुरुदेव सरन में ।
भव सागर हँस हँस के तरिये॥

गुरु आज्ञा में निश दिन रहिये॥


गुरु की महिमा अपरम्पार ।
राम धाम में करत विहार।

ज्योति स्वरूप राम दरशन को ।
गुरु के चरन चीन्ह अनुसरिये॥

गुरु आज्ञा में निश दिन रहिये॥

गुरु चरनन में ध्यान लगाऊं

गुरु चरनन में ध्यान लगाऊं।
ऐसी सुमति हमे दो दाता ॥


मैं अधमाधम पतित पुरातन।
किस विधि भव सागर तर पाऊं ।

ऐसी दृष्टि हमें दो दाता।
खेवन हार गुरु को पाऊं ॥

गुरु चरनन में ...


गुरुपद नख की दिव्य ज्योति से।
निज अन्तर का तिमिर मिटाऊं ।

गुरुपद पदम पराग कणों से।
अपना मन निर्मल कर पाऊं ॥

गुरु चरनन में ...


शंखनाद सुन जीवन रन का
धर्म युद्ध में मैं लग जाऊं ।

गुरुपद रज अंजन आँखिन भर।
विश्वरुप हरि को लख पाऊं ॥

गुरु चरनन में ...


भटके नहीं कहीं मन मेरा।
आँख मूंद जब उनको ध्याऊं ।

पीत गुलाबी शिशु से कोमल।
गुरु के चरन कमल लख पाऊं ॥

गुरु चरनन में ध्यान लगाऊं ॥

गुरु बिन कौन सम्हारे

गुरु बिन कौन सम्हारे ।
को भव सागर पार उतारे ॥

टूटी फूटी नाव हमारी
पहुँच न पाई तट पर ।
जैसे कोई प्यासा राही ।
भटक गया पनघट पर ।
पास खड़ा गुरु मुस्काता है ।
दोनों बाँह पसारे।
वो भवसागर पार उतारे ।
गुरु बिन ...

मेरे राम मुझे शक्ति दो ।
मन में मेरे दृढ़ भक्ति दो ।
राम काम मैं करूँ निरंतर ।
राम नाम चित धारे।
को भव सागर पार उतारे ।
गुरु बिन ...

जीवन पथ की उलझन लख कर।
खड़े न हो जाना तुम थक कर।
तेरा साथी, राम निरंजन ।
हरदम साथ तुम्हारे।
वो भवसागर पार उतारे ।
गुरु बिन ...

हमराही तुम विकल न होना ।
संकट में धीरज ना खोना ।
अंधियारे में बाँह पकड़ कर ।
सत्गुरु राह दिखाये।
वो भवसागर पार उतारे ।
गुरु बिन ...

शुक्रवार, सितंबर 26, 2008

मानस से - भये प्रगट कृपाला

भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी .
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी ..

लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी .
भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभासिन्धु खरारी ..

कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता .
माया गुन ग्यानातीत अमाना वेद पुरान भनंता ..

करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता .
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयौ प्रकट श्रीकंता ..

ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै .
मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै ..

उपजा जब ग्याना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै .
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ..

माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा .
कीजे सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा ..

सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा .
यह चरित जे गावहि हरिपद पावहि ते न परहिं भवकूपा ..

बिप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार .
निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार ..

रघुवर की सुधि आई

आज मुझे रघुवर की सुधि आई ।

आगे आगे राम चलत हैं ।
पीछे लछमन भाई ।
तिनके पीछे चलत जानकी ।
बिपत कही ना जाई ॥

सीया बिना मोरी सूनी रसोई ।
लछमन बिन ठकुराई ।
राम बिना मोरी सूनी अयोध्या ।
महल उदासी छाई ॥

मानस से - पुनि पुनि सीय गोद करि लेहीं

पुनि पुनि सीय गोद करि लेहीं ।
देइ असीस सिखावनु देहीं ॥

होएहु संतत पियहि पिआरी ।
चिरु अहिबात असीस हमारी ॥

सासु ससुर गुर सेवा करेहू ।
पति रुख लखि आयसु अनुसरेहू ॥

बहुरि बहुरि भेटहिं महतारीं ।
कहहिं बिरंचि रचीं कत नारीं ॥

दूलह राम सीय दुलही री

दूलह राम, सीय दुलही री ।

घन दामिनि बर बरन हरन मन ।
सुन्दरता नख सिख निबही री ॥

तुलसीदास जोरी देखत सुख ।
सोभा अतुल न जात कही री ॥

रूप रासि विरचि बिरंचि मनु ।
सिला लमनि रति काम लही री ॥

मानस से - सखिन्ह मध्य सिय सोहति कैसे।

संग सखीं सुदंर चतुर गावहिं मंगलचार।
गवनी बाल मराल गति सुषमा अंग अपार॥२६३॥

सखिन्ह मध्य सिय सोहति कैसे। छबिगन मध्य महाछबि जैसें॥
कर सरोज जयमाल सुहाई। बिस्व बिजय सोभा जेहिं छाई॥१॥

तन सकोचु मन परम उछाहू। गूढ़ प्रेमु लखि परइ न काहू॥
जाइ समीप राम छबि देखी। रहि जनु कुँअरि चित्र अवरेखी॥२॥

चतुर सखीं लखि कहा बुझाई। पहिरावहु जयमाल सुहाई॥
सुनत जुगल कर माल उठाई। प्रेम बिबस पहिराइ न जाई॥३॥

सोहत जनु जुग जलज सनाला। ससिहि सभीत देत जयमाला॥
गावहिं छबि अवलोकि सहेली। सियँ जयमाल राम उर मेली॥४॥

मानस से - परसत पद पावन

परसत पद पावन सोक नसावन प्रगट भई तपपुंज सही।
देखत रघुनायक जन सुखदायक सनमुख होइ कर जोरि रही॥

अति प्रेम अधीरा पुलक सरीरा मुख नहिं आवइ बचन कही।
अतिसय बड़भागी चरनन्हि लागी जुगल नयन जलधार बही॥१॥

मुनि श्राप जो दीन्हा अति भल कीन्हा परम अनुग्रह मैं माना।
देखेउँ भरि लोचन हरि भवमोचन इहइ लाभ संकर जाना॥

बिनती प्रभु मोरी मैं मति भोरी नाथ न मागउँ बर आना।
पद कमल परागा रस अनुरागा मम मन मधुप करै पाना॥३॥

मानस से - जय जय गिरिबरराज किसोरी

जय जय गिरिबरराज किसोरी ।
जय महेस मुख चंद चकोरी ॥

जय गज बदन षडानन माता ।
जगत जननि दामिनि दुति गाता ॥

नहिं तव आदि मध्य अवसाना ।
अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना ॥

भव भव बिभव पराभव कारिनि ।
बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि ॥

सेवत तोहि सुलभ फल चारी ।
बरदायनी पुरारि पिआरी ॥

देबि पूजि पद कमल तुम्हारे ।
सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे ॥

पात भरी सहरी

पात भरी सहरी, सकल सुत बारे-बारे,
केवट की जाति, कछु बेद न पढ़ाइहौं ।

सबू परिवारु मेरो याहि लागि, राजा जू,
हौं दीन बित्तहीन, कैसें दूसरी गढ़ाइहौं ॥

गौतम की घरनी ज्यों तरनी तरैगी मेरी,
प्रभुसों निषादु ह्वै कै बादु ना बढ़ाइहौं ।

तुलसी के ईस राम, रावरे सों साँची कहौं,
बिना पग धोँएँ नाथ, नाव ना चढ़ाइहौं ॥

गुरुवार, सितंबर 25, 2008

कौशल्या रानी अपने लला को दुलरावे

कौशल्या रानी अपने लला को दुलरावे
सुनयना रानी अपनी लली को दुलरावे

मुख चू्मे और कण्ठ लगावे
मन में मोद में मनावे
कौशल्या रानी
मन में मोद में मनावे

शिव ब्रह्मा जाको पार न पावे
निगम नेति कहि गावे
कौशल्या रानी
निगम नेति कहि गावे

हरि सहचरि बड़ भाग्य निराली
अपनी गोद खिलावे
कौशल्या रानी
अपनी गोद खिलावे

गुरुवार, सितंबर 18, 2008

जय जय आरती

जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा


जय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम


जय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
साम्ब सदाशिव उमा महेश्वर


जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मी

जय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ता

जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार

जय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेश

जय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय

रविवार, सितंबर 14, 2008

राम करे सो होय रे मनवा

राम झरोखे बैठ के सब का मुजरा लेत .
जैसी जाकी चाकरी वैसा वाको देत ..

राम करे सो होय रे मनवा, राम करे सो होये ..

कोमल मन काहे को दुखाये, काहे भरे तोरे नैना .
जैसी जाकी करनी होगी, वैसा पड़ेगा भरना .
काहे धीरज खोये रे मनवा, काहे धीरज खोये ..

पतित पावन नाम है वाको, रख मन में विश्वास .
कर्म किये जा अपना रे बंदे, छोड़ दे फल की आस .
राह दिखाऊँ तोहे रे मनवा, राह दिखाऊँ तोहे ..

You can listen to this bhajan by Mukesh by clicking here

शनिवार, सितंबर 13, 2008

भजन - मैली चादर ओढ़ के कैसे

Listen to Bhajan by Hari Om Sharan

मैली चादर ओढ़ के कैसे, द्वार तुम्हारे आऊँ ।
हे पावन परमेश्वर मेरे, मन ही मन शरमाऊं ॥

तूने मुझको जग में भेजा, निर्मल देकर काया ।
आकर के संसार में मैंने, इसको दाग लगाया ।
जनम जनम की मैली चादर, कैसे दाग छुड़ाऊं ॥

निर्मल वाणी पाकर मैने, नाम न तेरा गाया ।
नयन मूंद कर हे परमेश्वर, कभी न तुझको ध्याया ।
मन वीणा की तारें टूटीं, अब क्या गीत सुनाऊं ॥

इन पैरों से चल कर तेरे मन्दिर कभी न आया ।
जहां जहां हो पूजा तेरी, कभी न शीश झुकाया ।
हे हरि हर, मैं हार के आया, अब क्या हार चढ़ाऊं ॥

कीर्तन - राम अपनी कृपा से

राम अपनी कृपा से मुझे भक्ति दे .
राम अपनी कृपा से मुझे शक्ति दे ..

नाम जपता रहूँ काम करता रहूँ .
तन से सेवा करूँ मन से संयम कर्रूँ ..

नाम जपता रहूँ काम करता रहूँ .
श्री राम जय राम जय जय राम ..

शुक्रवार, सितंबर 12, 2008

राम सुमिर राम सुमिर

राम सुमिर, राम सुमिर, यही तेरो काज है ..

माया को संग त्याग, हरिजू की शरण लाग .
जगत सुख मान मिथ्या, झूठो सब साज है .. १..

सपने जो धन पछान, काहे पर करत मान .
बारू की भीत तैसे, बसुधा को राज है .. २..

नानक जन कहत बात, बिनसि जैहै तेरो दास .
छिन छिन करि गयो काल, तैसे जात आज है .. ३..

राम, राम, रट रे

राम, राम, राम, राम, राम, राम, रट रे ..
भव के फंद, करम बंध, पल में जाये कट रे ..

कुछ न संग ले के आये, कुछ न संग जाना .
दूर का सफ़र है, सिर पे बोझ क्यों बढ़ाना .
मत भटक इधर उधर, तू इक जगह सिमट रे ..
राम, राम, राम, राम, राम, राम, रट रे ..

राम को बिसार के, फिरे है मारा मारा .
तेरे हाथ नाव राम, पास है किनारा .
राम की शरण में जा, चरण से जा लिपट रे ..

राम, राम, राम, राम, राम, राम, रट रे ..

भजन: तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार

तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार, उदासी मन काहे को करे ..

नैया तेरी राम हवाले, लहर लहर हरि आप सम्हाले,
हरि आप ही उठायें तेरा भार, उदासी मन काहे को करे ..

काबू में मंझधार उसी के, हाथों में पतवार उसी के,
तेरी हार भी नहीं है तेरी हार, उदासी मन काहे को करे ..

सहज किनारा मिल जायेगा, परम सहारा मिल जायेगा,
डोरी सौंप के तो देख एक बार, उदासी मन काहे को करे ..

तू निर्दोष तुझे क्या डर है, पग पग पर साथी ईश्वर है,
सच्ची भावना से कर ले पुकार, उदासी मन काहे को करे ..

गुरुवार, सितंबर 11, 2008

भजन: स्वीकारो मेरे परनाम

Listen to Bhajan by Hari Om Sharan

सुख-वरण प्रभु, नारायण, हे, दु:ख-हरण प्रभु, नारायण, हे,
तिरलोकपति, दाता, सुखधाम, स्वीकारो मेरे परनाम,
प्रभु, स्वीकारो मेरे परनाम...

मन वाणी में वो शक्ति कहाँ, जो महिमा तुम्हरी गान करें,
अगम अगोचर अविकारी, निर्लेप हो, हर शक्ति से परे,
हम और तो कुछ भी जाने ना, केवल गाते हैं पावन नाम ,
स्वीकारो मेरे परनाम, प्रभु, स्वीकारो मेरे परनाम...

आदि मध्य और अन्त तुम्ही, और तुम ही आत्म अधारे हो,
भगतों के तुम प्राण, प्रभु, इस जीवन के रखवारे हो,
तुम में जीवें, जनमें तुम में, और अन्त करें तुम में विश्राम,
स्वीकारो मेरे परनाम, प्रभु, स्वीकारो मेरे परनाम...

चरन कमल का ध्यान धरूँ, और प्राण करें सुमिरन तेरा,
दीनाश्रय, दीनानाथ, प्रभु, भव बंधन काटो हरि मेरा,
शरणागत के (घन)श्याम हरि, हे नाथ, मुझे तुम लेना थाम,
स्वीकारो मेरे परनाम, प्रभु, स्वीकारो मेरे परनाम...

Thanks to Kameshwar Bhaiya for reminding me of this bhajan. Luckily I found an online version and transcribed it to add to the collection. . You can listen to it from the link on this page.

रविवार, सितंबर 07, 2008

प्रेम मुदित मन से कहो राम राम राम

प्रेम मुदित मन से कहो, राम, राम, राम .
राम, राम, राम, श्री राम, राम, राम ..

पाप कटें, दुःख मिटें, लेत राम नाम .
भव समुद्र, सुखद नाव, एक राम नाम ..
राम, राम, राम, श्री राम, राम, राम ..

परम शांति, सुख निधान, दिव्य राम नाम .
निराधार को आधार, एक राम नाम ..
राम, राम, राम, श्री राम, राम, राम ..

परम गोप्य, परम इष्ट, मंत्र राम नाम .
पाप कटत, मुक्त करत, एक राम नाम ..
राम, राम, राम, श्री राम, राम, राम ..

महादेव सतत जपत, नित्य राम नाम .
संत हृदय सदा बसत, एक राम नाम ..
राम, राम, राम, श्री राम, राम, राम ..

मात पिता, बंधु सखा, सबहि राम नाम .
भक्त जनन, जीवन धन, एक राम नाम ..
राम, राम, राम, श्री राम, राम, राम ..


Many thanks to Atul Dada for the corrections!

He also mentioned that there was another line in the original 'काशी मरत, मुक्त करत, कहत राम नाम'. But, Ram Nam is so powerful that regardless of where you stay, it has the power to remove sins and liberate the person. Hence, the ramparivar version is 'पाप कटत, मुक्त करत, एक राम नाम'.


Meaning of Bhajan from Vahini.org

Recite the name of Lord Rama
with the heart and mind full of love and devotion.

Reciting the name of Lord Rama frees from sins and miseries
and helps to cross the ocean of life and death (samsara).

So powerful is Lord Rama's name that it brings eternal peace and bliss
and is the only support of those who have no support.

So loving and so divine is Lord Rama's name that sages and saints
always have only Lord Rama's name in their hearts.

O Lord Rama! Thou art my mother, father,
relation, friend, everything and all.

The only life-long treasure of the devotee is Thy name.
Chant the mantra 'Rama Rama Ram'.

http://vahini.org/audio-sai/01PremaMuditaManaseKaho.mp3

सीताराम, सीताराम, सीताराम कहिये

सीताराम, सीताराम, सीताराम कहिये .
जाहि विधि राखे, राम ताहि विधि रहिये ..

मुख में हो राम नाम, राम सेवा हाथ में .
तू अकेला नाहिं प्यारे, राम तेरे साथ में .
विधि का विधान, जान हानि लाभ सहिये .

किया अभिमान, तो फिर मान नहीं पायेगा .
होगा प्यारे वही, जो श्री रामजी को भायेगा .
फल आशा त्याग, शुभ कर्म करते रहिये .

ज़िन्दगी की डोर सौंप, हाथ दीनानाथ के .
महलों मे राखे, चाहे झोंपड़ी मे वास दे .
धन्यवाद, निर्विवाद, राम राम कहिये .

आशा एक रामजी से, दूजी आशा छोड़ दे .
नाता एक रामजी से, दूजे नाते तोड़ दे .
साधु संग, राम रंग, अंग अंग रंगिये .
काम रस त्याग, प्यारे राम रस पगिये .

सीता राम सीता राम सीताराम कहिये .
जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये ..

बधैया बाजे

बधैया बाजे, आंगने में बधैया बाजे ..

राम, लखन, शत्रुघन, भरतजी, झूलें कंचन पालने में .
बधैया बाजे, आंगने में बधैया बाजे ..

राजा दसरथ रतन लुटावै, लाजे ना कोउ माँगने में .
बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे ..

प्रेम मुदित मन तीनों रानी, सगुन मनावैं मन ही मन में .
बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे ..

राम जनम को कौतुक देखत, बीती रजनी जागने में
बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे ..

भजन: बोले बोले रे राम चिरैया रे .

बोले बोले रे, राम, चिरैया रे .
बोले रे, राम, चिरैया ..

मेरे साँसों के पिंजरे में,
घड़ी घड़ी बोले,
घड़ी घड़ी बोले ..
बोले बोले रे राम चिरैया रे .
बोले रे राम चिरैया ..

ना कोई खिड़की, ना कोई डोरी,
ना कोई चोर, करे जो चोरी,
ऐसा मेरा है राम रमैया रे ..
बोले बोले रे राम चिरैया रे .
बोले रे राम चिरैया ..

उसी की नैया, वही खिवैया,
बह रही उस की लहरैया,
चाहे लाख चले पुरवैया रे ..
बोले बोले रे राम चिरैया रे .
बोले रे राम चिरैया ..

मेरा राम सब दुखियों का सहारा है

सब दुखियों का सहारा है,
मेरा राम, सब दुखियों का सहारा है ..

जो भी उसको टेर बुलाता, उसके पास वो दौड़ के आता .
कह दे कोई वो नहीं आता, यदि सच्चे दिल से पुकारा है ..
सब दुखियों का सहारा है ...

जो कोई परदेस में रहता, उसकी भी वो रक्षा करता .
हर प्राणी है उसको प्यारा, अपना बस यही नारा है ..
सब दुखियों का सहारा है ...