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शनिवार, नवंबर 19, 2016

नैहरवा हमका न भावे - भजन - कबीरदास

naiharavaa hamakaa naa bhaave - bhajan by Sant Kabirdas

Listen to this bhajan sung by Shri V N Shrivastav 'Bhola' by clicking here.

कबीर दास जी की अति सारगर्भित रचना

नैहरवा हमका न भावे !!

साई की नगरी परम् अति सुंदर जहाँ कोई जान न पावे !
चाँद सूरज जहाँ पवन न पानी, को सन्देश पहुचावे !
दर्द ये साईं को सुनावे .. .!! टेक !!

आगे चलों पन्थ नही सूझे, पीछे दोष लगावे
केहि विधि ससुरे जाऊं  मोरि सजनी बिरहा जोर जरावे
बिषय रस नाच नचावे ... !!टेक!!

बिनु सद्गुरु अपनों नहीं कोऊ जो  ये राह बतावे !
कहत कबीर सुनो भाई साधो सुपनन पीतम पावे !
तपन जो जिय की बुझावे .. !! टेक !!


दुल्हनिया है "जीवात्मा" और दुलहा हैं "परमात्मा"
"जीव" को उसका मायका अथवा "यह संसार" तनिक भी नहीं भाता !

मानव परिवेश में बंधा जीवात्मा बेचैन है ! वह शीघ्रातिशीघ्र अपने स्थाई निवास स्थान अथवा परमपिता परमेश्वर की नगरी - उसकी सुसराल पहुंचना चाहता है !

शुक्रवार, नवंबर 18, 2016

अबिनासी दुलहा कब मिलिहो - भजन - सन्त कबीरदास जी

abinasi duliha kab miliho - bhajan by Sant Kabirdas

Listen to the bhajan sung by Shri V N Shrivastav 'Bhola' by clicking here.

अबिनासी दुलहा कब मिलिहो भगतन के रछपाल !!

जल उपजी जल ही सो नेहा, रटत पियास पियास ,
मैं  ठाढ़ी बिरहन मग जोहूँ , प्रियतम तुमरी आस !! टेक !!

छोड़े नेह गेह, लगि तुमसों ,  भयी चरण लवलीन  ,
तालामेलि होत घट भीतर ,  जैसे जल बिन मीन  !! टेक !!

दिवस नभूख ,रैननहिं निदिया ,घरआँगन न सुहावे ,
सेजरिया बैरन भइ हमको , जाबत रेन बिहावे  !! टेक !!

हमतो तुमरी दासी सजना,  तुम हमरे    भरतार ,
दीनदयाल दया करि आवो,  समरथ सिरजन हार !! टेक !!

कह कबीर सुन जोगिनी, तो तन में मन हि मिलाय.
तुम्हरी प्रीति के कारने, हो बहुरि मिलिहंइ आय !! टेक !!

दीनबंधु दीनानाथ मेरी तन हेरिये - भजन - मलूकदास

deenbandhu deenanath meri tan heriye - Bhajan by Sant Malukdas

Listen to this bhajan sung by Shri VNS 'Bhola' by clicking here.

दीनबन्धु दीनानाथ, मेरी तन हेरिये ॥

भाई नाहिं, बन्धु नाहिं, कटुम-परिवार नाहिं ।
ऐसा कोई मीत नाहिं, जाके ढिंग जाइये ॥

खेती नाहिं, बारी नाहिं, बनिज ब्योपार नाहिं
ऐसो कोउ साहु नाहिं जासों कछू माँगिये ॥

कहत मलूकदास छोड़ि दे पराई आस,
राम धनी पाइकै अब काकी सरन जाइये ॥

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dīnabandhu dīnānāth, mērī tan hēriyē ||

bhāī nāhiṁ, bandhu nāhiṁ, kaṭum-parivār nāhiṁ |
aisā kōī mīt nāhiṁ, jākē ḍhiṁg jāiyē ||

khētī nāhiṁ, bārī nāhiṁ, banij byōpār nāhiṁ
aisō kōu sāhu nāhiṁ jāsōṁ kachū mām̐giyē ||

kahat malūkdās chōṛi dē parāī ās,
rām dhanī pāikai ab kākī saran jāiyē ||
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dInabandhu dInAnAth, merI tan heriye ||

bhAI nAhiM, bandhu nAhiM, kaTum-parivAr nAhiM |
aisA koI mIt nAhiM, jAke DhiMg jAiye ||

khetI nAhiM, bArI nAhiM, banij byopAr nAhiM
aiso kou sAhu nAhiM jAsoM kaChU mA.Ngiye ||

kahat malUkdAs Cho.Di de parAI As,
rAm dhanI pAikai ab kAkI saran jAiye || 

रविवार, नवंबर 13, 2016

भजन: राम दो निज चरणों में स्थान

Ram, do nij charano me sthan
words, composition and voice - V N Shrivastav 'Bhola'
Click here for mp3 audio from Shri Ram Sharanam

राम, दो निज चरणों में स्थान,
शरणागत अपना जन जान ।

अधमाधम मैं पतित पुरातन ।
साधनहीन निराश दुखी मन।
अंधकार में भटक रहा हूँ ।
राह दिखाओ अंगुली थाम।
राम, दो ...

सर्वशक्तिमय राम जपूँ मैं ।
दिव्य शान्ति आनन्द छकूँ मैं।
सिमरन करूं निरंतर प्रभु मैं।
राम नाम मुद मंगल धाम।
राम, दो ...

केवल राम नाम ही जानूँ।
और धर्म मत ना पहिचानूँ।
जो गुरु मंत्र दिया सतगुरु ने।
उसमें है सबका कल्याण।
राम, दो ...

हनुमत जैसा अतुलित बल दो,
पर-सेवा का भाव प्रबल दो ।
बुद्धि, विवेक, शक्ति इतनी दो,
पूरा करूं राम का काम ।
राम, दो ...