bhajan: khud to bahar hi khade rahe
tune - Shri Jagannath Prasad Ji Shrivastava
voice - Sau. Krishna Kumari Shrivastava
Introduction by Justice Shiv Dayal Ji Shrivastava
The last few lines of the bhajan are in the voice of Sau. Sunita Shrivastava .
महाभारत का एक प्रसंग है, एक दिन दुर्योधन ने भीष्म पितामह को बहुत बुरा-भला कहा . उन्होंने आवेश में आकर प्रतिज्ञा की कि कल पाँचो पाण्डवों को मार दूँगा.
उसके बाद क्या होता है , ये बहूरानी से सुनिए गीत :
खुद तो बाहर ही खड़े रहे, भीतर भेजा पांचाली को;
यतिवर बाबा के चरणों में, जाकर अपना मस्तक रख दो ।
अर्धरात्रि की बेला में, भीषम की लगी समाधी थी;
मन प्रभु चरणों में लगा हुआ, उस जगह न कोई व्याधा थी ।
कृष्णा ने जाकर सिर रक्खा, चरणों पर भीष्म पितामह के;
चरणों पर कौन झुका, देखूँ, बाबा भीषम एकदम चौंके ।
देखा एक सधवा नारी है, चरणों पर शीश झुकाती है;
उसके तन की रंगी साड़ी, सधवापन को दर्शाती है ।
आशीर्वाद मुख से निकला, सौभाग्यवती भव हो बेटी;
तेरे हाथों की मेहंदी का न रंग कभी छूटे बेटी ।
सौभाग्य तुम्हारा अचल रहे, सिन्दूर से मांग न खाली हो;
वर देता हूँ तुझको बेटी, तू वीर कुमारों वाली हो ।
सुनकर कृष्णा ने तुरत कहा, बाबा ये क्या बतलाते हो;
कल और आज कुछ और कहा, तुम सत्यव्रती कहलाते हो ।
मेहंदी का रंग तो रहने दो, साड़ी का रंग उड़ाओ ना;
सिन्दूर जो मेरी मांग का है, बाणों से उसे छुड़ाओ ना ।
मेरे पाँचों पतियों में से, यदि एक भी मारा जायेगा;
आशीर्वाद तेरा बाबा, क्या झूठा नहीं कहायेगा ।
तब आया होश पितामह को, हाथों से माला छूट गई;
मन प्रभु चरणों में लगा हुआ, चितचोर समाधी टूट गई ।
बोले बेटी इन प्रश्नों का उत्तर पीछे दे पाउंगा;
तेरे सुहाग का निर्णय भी मैं पीछे ही कर पाउंगा ।
एक बात खटकती है मन में, हैरान है जिसने कर डाला;
बतला बेटी, वह कहाँ छिपा, इस जगह तुझे लाने वाला ।
बेटी तूने मेरे कुल को, इतना पवित्र कर डाला है;
पहरा देता होगा तेरा, जो विश्व रचाने वाला है ।
बूढ़ा होने को आया है, पर अब भी गई नहीं चोरी;
नित नई नीतियाँ चलता है, तुमसे चोरी, मुझसे चोरी ।
बाहर आकर के जो देखा, ड्योढ़ी का दृश्य निराला था;
पीताम्बर का घूंघट डाले, वो खड़ा बांसुरी वाला था ।
चरणों से जाकर लिपट गये, छलिया छलने को आया है;
भक्तों की रक्षा करने को, दासी का वेष बनाया है ।
*
कहते हैं द्रौपदी का जूता था, पीताम्बर के कोने में;
उर में करुणा का भार लिये थे लगे पितामह रोने में ।
हे द्रुपद सुता, मेरी बेटी, अब जाओ विजय तुम्हारी है;
पतियों का बाल न बाँका हो, जब रक्षक कृष्ण मुरारी हैं ।
जब रक्षक कृष्ण मुरारी हैं, भव भय भंजन भय हारी हैं;
जब रक्षक कृष्ण मुरारी हैं, भव भय भंजन भय हारी हैं ।
___________________________________________
This bhajan was the first in our series 'Bhajan on Demand' initiated by requests from dear Jyoti - Sau. Dr. Jyotsna Nigam. Efforts by various family members have made this possible.
Thanks to Sau. Dr. Krishna Shrivastav for the audio files, Shri Atul Shrivastava for the transcribed lyrics. The audio has been converted from old cassettes and two versions have been edited and spliced together to complete the song.
Atul Dada writes: "This bhajan/ poem appeared many many years back in one of the volumes (अंक) of "कल्याण" पत्रिका. On demand of Tauji, Babu had composed its dhun. We sing it in the same dhun today. Just close your eyes while singing this bhajan and we will get परमानन्द. This is my experience, by God's Grace."
Click here to listen to the bhajan
tune - Shri Jagannath Prasad Ji Shrivastava
voice - Sau. Krishna Kumari Shrivastava
Introduction by Justice Shiv Dayal Ji Shrivastava
The last few lines of the bhajan are in the voice of Sau. Sunita Shrivastava .
महाभारत का एक प्रसंग है, एक दिन दुर्योधन ने भीष्म पितामह को बहुत बुरा-भला कहा . उन्होंने आवेश में आकर प्रतिज्ञा की कि कल पाँचो पाण्डवों को मार दूँगा.
उसके बाद क्या होता है , ये बहूरानी से सुनिए गीत :
खुद तो बाहर ही खड़े रहे, भीतर भेजा पांचाली को;
यतिवर बाबा के चरणों में, जाकर अपना मस्तक रख दो ।
अर्धरात्रि की बेला में, भीषम की लगी समाधी थी;
मन प्रभु चरणों में लगा हुआ, उस जगह न कोई व्याधा थी ।
कृष्णा ने जाकर सिर रक्खा, चरणों पर भीष्म पितामह के;
चरणों पर कौन झुका, देखूँ, बाबा भीषम एकदम चौंके ।
देखा एक सधवा नारी है, चरणों पर शीश झुकाती है;
उसके तन की रंगी साड़ी, सधवापन को दर्शाती है ।
आशीर्वाद मुख से निकला, सौभाग्यवती भव हो बेटी;
तेरे हाथों की मेहंदी का न रंग कभी छूटे बेटी ।
सौभाग्य तुम्हारा अचल रहे, सिन्दूर से मांग न खाली हो;
वर देता हूँ तुझको बेटी, तू वीर कुमारों वाली हो ।
सुनकर कृष्णा ने तुरत कहा, बाबा ये क्या बतलाते हो;
कल और आज कुछ और कहा, तुम सत्यव्रती कहलाते हो ।
मेहंदी का रंग तो रहने दो, साड़ी का रंग उड़ाओ ना;
सिन्दूर जो मेरी मांग का है, बाणों से उसे छुड़ाओ ना ।
मेरे पाँचों पतियों में से, यदि एक भी मारा जायेगा;
आशीर्वाद तेरा बाबा, क्या झूठा नहीं कहायेगा ।
तब आया होश पितामह को, हाथों से माला छूट गई;
मन प्रभु चरणों में लगा हुआ, चितचोर समाधी टूट गई ।
बोले बेटी इन प्रश्नों का उत्तर पीछे दे पाउंगा;
तेरे सुहाग का निर्णय भी मैं पीछे ही कर पाउंगा ।
एक बात खटकती है मन में, हैरान है जिसने कर डाला;
बतला बेटी, वह कहाँ छिपा, इस जगह तुझे लाने वाला ।
बेटी तूने मेरे कुल को, इतना पवित्र कर डाला है;
पहरा देता होगा तेरा, जो विश्व रचाने वाला है ।
बूढ़ा होने को आया है, पर अब भी गई नहीं चोरी;
नित नई नीतियाँ चलता है, तुमसे चोरी, मुझसे चोरी ।
बाहर आकर के जो देखा, ड्योढ़ी का दृश्य निराला था;
पीताम्बर का घूंघट डाले, वो खड़ा बांसुरी वाला था ।
चरणों से जाकर लिपट गये, छलिया छलने को आया है;
भक्तों की रक्षा करने को, दासी का वेष बनाया है ।
*
कहते हैं द्रौपदी का जूता था, पीताम्बर के कोने में;
उर में करुणा का भार लिये थे लगे पितामह रोने में ।
हे द्रुपद सुता, मेरी बेटी, अब जाओ विजय तुम्हारी है;
पतियों का बाल न बाँका हो, जब रक्षक कृष्ण मुरारी हैं ।
जब रक्षक कृष्ण मुरारी हैं, भव भय भंजन भय हारी हैं;
जब रक्षक कृष्ण मुरारी हैं, भव भय भंजन भय हारी हैं ।
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This bhajan was the first in our series 'Bhajan on Demand' initiated by requests from dear Jyoti - Sau. Dr. Jyotsna Nigam. Efforts by various family members have made this possible.
Thanks to Sau. Dr. Krishna Shrivastav for the audio files, Shri Atul Shrivastava for the transcribed lyrics. The audio has been converted from old cassettes and two versions have been edited and spliced together to complete the song.
Atul Dada writes: "This bhajan/ poem appeared many many years back in one of the volumes (अंक) of "कल्याण" पत्रिका. On demand of Tauji, Babu had composed its dhun. We sing it in the same dhun today. Just close your eyes while singing this bhajan and we will get परमानन्द. This is my experience, by God's Grace."
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5 टिप्पणियां:
Aisa laga ki Meri dus saal pehle khoi cheek milgai.mere late babu ji ko main ye pura bhajan na suna paya.jo ki karibbis saal pehle apne mama ji se suna that.wo bhi aaj ni hain.
Bahut sunder ji radhey Krishna ji
राधे राधे🙏
जय श्री राधे
Radhe Radhe ❤️
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