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सोमवार, मई 30, 2022

यदि नाथ का नाम दयानिधि है - उमा


यदि नाथ का नाम दयानिधि है, तो दया भी करेंगे कभी न कभी ।
दुखहारी हरी, दुखिया जन के, दुख क्लेश हरेगें कभी न कभी ।

जिस अंग की शोभा सुहावनी है, जिस श्यामल रंग में मोहनी है ।
उस रूप सुधा से स्नेहियों के, दृग प्याले भरेगें कभी न कभी ।

जहां गीध निषाद का आदर है, जहां व्याध अजामिल का घर है ।
वही वेश बनाके उसी घर में, हम जा ठहरेगें कभी न कभी ।

करुणानिधि नाम सुनाया जिन्हें, कर्णामृत पान कराया जिन्हें ।
सरकार अदालत में ये गवाह, सभी गुजरेगें कभी न कभी ।

हम द्वार में आपके आके पड़े, मुद्दत से इसी जिद पर हैं अड़े ।
भव-सिंधु तरे जो बड़े से बड़े, तो ये 'बिन्दु' तरेगें कभी न कभी ।