प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर,
प्रभु को नियम बदलते देखा ।
उनका मान भले टल जाए,
भक्त का मान न टलते देखा ॥
जिनकी केवल कृपा दृष्टि से,
सकल सृष्टि को पलते देखा ।
उनको गोकुल के गोरस पर,
सौ-सौ बार मचलते देखा ॥
प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर…
जिनके चरण कमल कमला के,
करतल से न निकलते देखा ।
उनको बृज करील कुञ्जों में,
कंटक पथ पर चलते देखा ॥
प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर…
जिनका ध्यान विरंचि शम्भु
सनकादिक से न सम्हलते देखा ।
उनको बाल सखा मंडल में,
लेकर गेंद उछलते देखा ॥
प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर…
जिनकी वक्र भृकुटि के भय से,
सागर सप्त उबलते देखा ।
उनको ही यशोदा के भय से,
अश्रु बिंदु दृग ढलते देखा ॥
प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर…
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