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बुधवार, मई 25, 2022

किसकी शरण में जाऊं - उमा

किसकी शरण में जाऊं अशरण शरण तुम्हीं हो ॥

गज ग्राह से छुड़ाया प्रह्लाद को बचाया।
द्रौपदी का पट बढ़ाया  निर्बल के बल तुम्हीं हो ॥

अति दीन था सुदामा आया तुम्हारे धामा।
धनपति उसे बनाया  निर्धन के धन तुम्हीं हो ॥

तारा सदन कसाई अजामिल की गति बनाई।
गणिका सुपुर पठाई  पातक हरण तुम्हीं हो ॥

मुझको तो हे बिहारी आशा है बस तुम्हारी।
काहे सुरति बिसारी  मेरे तो एक तुम्हीं हो ॥

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