अबकी टेक हमारी, लाज राखो गिरिधारी।
जैसी लाज रखी पारथ की, भारत जुद्ध मंझारी।
सारथि होके रथ को हांक्यो, चक्र-सुदर्शन-धारी।
भगत की टेक न टारी।
अबकी टेक हमारी…
जैसी लाज रखी द्रौपदि की, होन्हिं न दीन्हिं उघारी।
खैंचत खैंचत दोऊ भुज थाके, दु:शासन पचि हारी।
चीर बढ़ायो मुरारी ।
अबकी टेक हमारी…
सूरदास की लज्जा राखो, अब को है रखवारी ?
राधे राधे श्रीवर-प्यारी श्रीवृषभान-दुलारी।
सरन तकि आयो तुम्हारी।
अबकी टेक हमारी…
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