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गुरुवार, मई 26, 2022

अबकी टेक हमारी - उमा

अबकी टेक हमारी, लाज राखो गिरिधारी।

जैसी लाज रखी पारथ की, भारत जुद्ध मंझारी। 
सारथि होके रथ को हांक्यो, चक्र-सुदर्शन-धारी।
भगत की टेक न टारी।
अबकी टेक हमारी…

जैसी लाज रखी द्रौपदि की, होन्हिं न दीन्हिं उघारी। 
खैंचत खैंचत दोऊ भुज थाके, दु:शासन पचि हारी।
चीर बढ़ायो मुरारी ।
अबकी टेक हमारी…

सूरदास की लज्जा राखो, अब को है रखवारी ? 
राधे राधे श्रीवर-प्यारी श्रीवृषभान-दुलारी। 
सरन तकि आयो तुम्हारी।
अबकी टेक हमारी…



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