म्हाणे चाकर राखो जी, गिरधारी ...
चाकर रहस्यूँ बाग लगास्यूँ नित उठ दरशन पास्यूँ।
वृन्दावन की कुञ्ज गलिन में गोविन्द लीला गास्यूँ।
म्हाणे चाकर राखो जी, गिरधारी ...
ऊँचे ऊँचे महल बनाऊँ बिच बिच राखूँ क्यारी।
साँवरिया के दरशन पाऊँ पहर कुसुम्बी साड़ी।
म्हाणे चाकर राखो जी, गिरधारी ...
मीराँ के प्रभु गहर गम्भीरा हृदय धरो री धीरा।
आधी रात प्रभु दरशन दीन्हे प्रेम नदी के तीरा।
म्हाणे चाकर राखो जी, गिरधारी ...
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चाकरी में दरसन पास्यूँ सुमरन पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ तीनूं बाताँ सरसी।
मोर मुगट पीताम्बर सौहे गल वैजन्ती माला।
बिन्दरावन में धेनु चरावे मोहन मुरली वाला।