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शुक्रवार, सितंबर 04, 2015

भजन: अंखियाँ हरि दरसन की प्यासी

bhajan: ankhiyan hari darashan ki pyasi

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अंखियाँ हरि दरसन की प्यासी।

देख्यौ चाहति कमलनैन कौ,
निसि-दिन रहति उदासी।।

आए ऊधै फिरि गए आँगन,
डारि गए गर फांसी।

केसरि तिलक मोतिन की माला,
वृन्दावन के बासी।।

काहू के मन को कोउ न जानत,
लोगन के मन हांसी।

सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस कौ,
करवत लैहौं कासी।।

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ankhiyA.N hari darsan kI pyAsI|

dekhyau chAhti kamala nayan kau,
nisi-din rahti udAsI||

Ae Udhai phiri gae A.Ngan,
DAri gae gar phAMsI|

kesri tilak motin kI mAlA,
vR^indAvan ke bAsI||

kAhU ke man ko kou na jAnat,
logan ke man hAMsI|

sUrdAs prabhu tumhre daras kau,
karvat laihauM kAsI|| 

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