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शुक्रवार, जून 03, 2022

चितचोरन छबि रघुबीर की — उमा

चितचोरन छबि रघुबीर की।

बसी रहति निसि बासर हिय में
बिहरनि सरजू तीर की ।
चितचोरन छबि रघुबीर की...

उर मणि माल पीत पट राजत
चलनि मस्त गज गीर की ।
चितचोरन छबि रघुबीर की...

सिया अलि लखि अवध छैल छबि
सुधि नहीं भूषण चीर की ।
चितचोरन छबि रघुबीर की...


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