नाथ मेरो कहा बिगरेगो
जायेगी लाज तुम्हारी
भूमि बिहीन पाण्डव सुत डोले, जब ते धरमसुत हारे
रही है ना पैज प्रबल पारथ की, कि भीम गदा महि डारी,
नाथ मेरो कहा बिगरेगो ...
शूर समूह भूप सब बैठे, बड़े बड़े प्रणधारी,
भीष्म द्रोण कर्ण दुशासन, जिन्ह मोपे आपत डारी,
नाथ मेरो कहा बिगरेगो ...
तुम तो दीनानाथ कहावत, मैं अति दीन दुखारी,
जैसे जल बिन मीन जो तड़पै, सोई गति भई हमारी,
नाथ मेरो कहा बिगरेगो ...
मम पति पांच, पांचन के तुम पति, मो पत काहे बिसारी,
सूर श्याम पाछे पछितहिओ, कि जब मोहे देखो उघारी,
नाथ मेरो कहा बिगरेगो ...
1 टिप्पणी:
कृपया PDF download करनें कि कृपा करें जी प्रणाम
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