जो भजे हरि को सदा सो परम पद पायेगा ..
देह के माला तिलक और भस्म नहिं कुछ काम के .
प्रेम भक्ति के बिना नहिं नाथ के मन भायेगा ..
दिल के दर्पण को सफ़ा कर दूर कर अभिमान को .
खाक हो गुरु के चरण की तो प्रभु मिल जायेगा ..
छोड़ दुनिया के मज़े और बैठ कर एकांत में .
ध्यान धर हरि के चरण का फिर जनम नहीं पायेगा ..
दृढ़ भरोसा मन में रख कर जो भजे हरि नाम को .
कहत ब्रह्मानंद ब्रह्मानंद में ही समायेगा ..
देह के माला तिलक और भस्म नहिं कुछ काम के .
प्रेम भक्ति के बिना नहिं नाथ के मन भायेगा ..
दिल के दर्पण को सफ़ा कर दूर कर अभिमान को .
खाक हो गुरु के चरण की तो प्रभु मिल जायेगा ..
छोड़ दुनिया के मज़े और बैठ कर एकांत में .
ध्यान धर हरि के चरण का फिर जनम नहीं पायेगा ..
दृढ़ भरोसा मन में रख कर जो भजे हरि नाम को .
कहत ब्रह्मानंद ब्रह्मानंद में ही समायेगा ..
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1 टिप्पणी:
बहुत सुंदर भजन गाया गया है।
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