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मंगलवार, मई 24, 2011

भजन : हर सांस में हर बोल में

हर सांस में हर बोल में
हरि नाम की झंकार है .
हर नर मुझे भगवान है
हर द्वार मंदिर द्वार है ..

ये तन रतन जैसा नहीं
मन पाप का भण्डार है .
पंछी बसेरे सा लगे
मुझको सकल संसार है ..

हर डाल में हर पात में
जिस नाम की झंकार है .
उस नाथ के द्वारे तू जा
होगा वहीं निस्तार है ..

अपने पराये बन्धुओं का
झूठ का व्यवहार है .
मनके यहां बिखरे हुये
प्रभु ने पिरोया तार है ..

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Please let me know if you have the audio of this bhajan.

2 टिप्‍पणियां:

Vivek Jain ने कहा…

बहुत सुन्दर ,
- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

Unknown ने कहा…

हर सांस में हर बोल में
हरि नाम की झंकार है .
हर नर मुझे भगवान है
हर द्वार मंदिर द्वार है ..

ये तन रतन जैसा नहीं
मन पाप का भण्डार है .
पंछी बसेरे सा लगे
मुझको सकल संसार है .. बहुत ही बढ़िया !
मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - स्त्री अज्ञानी ?