मेरे दिल में दिल का प्यारा, है मगर मिलता नहीं ।
चश्म में उसका नजारा, है मगर मिलता नहीं ।
ढ़ूंढ़ता फिरता हूँ उसको, दर बदर और कू ब कू ।
हर जगह वो आशिकारा, है मगर मिलता नहीं ।
ए रकीबो गर खबर हो, तो लिल्लाह दो जबाव ।
मेरे घर में मेरा प्यारा, है मगर मिलता नहीं ।
शेख ढ़ूढ़ें है हरम में, और निरहमन देर में ।
हर जगह उसको पुकारा, है मगर मिलता नहीं ।
मैं पड़ा जख्मी तड़पता हूँ, फिराके यार में ।
नीर भिजगा उसने मारा, है मगर मिलता नहीं ।
मेरे अन्दर वो ही खेले, औ खिलावे मुझको वोह
घर में दुल्हन का दुल्हारा, है मगर मिलता नहीं ।
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