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बुधवार, दिसंबर 02, 2009

भजन - छोड़ झमेला झूठे जग का

छोड़ झमेला झूठे जग का
कह गये दास कबीर |
पार लगायेंगे एक पल में
तुलसी के रघुवीर ||

भूल भुलैयाँ जीवन तेरा
साँचो नाम प्रभु को |
मन में बसा ले आज तू बन्दे
लेकर नाम गुरु को |
सूरदास के श्याम हरेंगे
जनम जनम की पीर ||

मेरा मेरा दिन भर करता
पर तेरा कछु नाँहीं |
माटी का ये खेल है सारा
मिलेगा माटी माँहीं |
मीराजी के गीत बुलायें
सबको यमुना तीर ||


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भजन - नैया पड़ी मंझधार

नैया पड़ी मंझधार, गुरु बिन, कैसे लागे पार॥

मैं अपराधी जनम को मन में भरा विकार ।
तुम दाता दुख भंजन मेरी करो सम्हार ।
अवगुन दास कबीर के बहुत गरीबनवाज़ ।
जो मैं पूत, कपूत हूं, तहौं पिता की लाज ॥
गुरु बिन, कैसे लागे पार ॥

साहिब, तुम मत भूलियो, लाख लोग लगि जाँहिं ।
हम से तुमरे बहुत हैं, तुम से हमरे नाहिं ।
अंतरयामी एक तुम, आतम के आधार ।
जो तुम छोड़ो हाथ, प्रभुजी, कौन उतारे पार ॥
गुरु बिन, कैसे लागे पार ॥


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मंगलवार, दिसंबर 01, 2009

भजन - बिगड़ी बात बना दे राम

बिगड़ी बात बना दे राम
नैया पार लगा दे राम |
युग युग से मैं भटक रहा
अब तो राह दिखा दे राम ||

राम हे राम, राम सिया राम

घोर अंधेरा छाया है
मन पंछी घबराया है |
मोह माया के चक्कर में
ये मूरख भरमाया है |
अब तो अंधेरा दूर करो
ज्ञान का दीप जला दे राम ||

तुमने जीवनदान दिया
कितना बड़ा एहसान किया |
हमने मगर इस जीवन का
पग पग पर अपमान किया |
जैसे हैं हम तेरे हैं
भले बुरे प्रभु तेरे हैं
गुण अवगुण बिसरा दे राम ||

बिगड़ी बात बना दे राम

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भजन - तूने रात गँवायी सोय के

तूने रात गँवायी सोय के दिवस गँवाया खाय के।
हीरा जनम अमोल था कौड़ी बदले जाय॥

सुमिरन लगन लगाय के मुख से कछु ना बोल रे।
बाहर के पट बंद कर ले अंतर के पट खोल रे।
माला फेरत जुग हुआ गया ना मन का फेर रे।
गया ना मन का फेर रे।
हाथ का मनका छोड़ दे मन का मनका फेर॥

दुख में सुमिरन सब करें सुख में करे न कोय रे।
जो सुख में सुमिरन करे तो दुख काहे को होय रे।
सुख में सुमिरन ना किया दुख में करता याद रे।
दुख में करता याद रे।
कहे कबीर उस दास की कौन सुने फ़रियाद॥

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भजन - सुर की गति मैं

सुर की गति मैं क्या जानूँ .
एक भजन करना जानूँ ..

अर्थ भजन का भी अति गहरा
उस को भी मैं क्या जानूँ ..
प्रभु प्रभु प्रभु कहना जानूँ
नैना जल भरना जानूँ ..

गुण गाये प्रभु न्याय न छोड़े
फिर तुम क्यों गुण गाते हो
मैं बोला मैं प्रेम दीवाना
इतनी बातें क्या जानूँ ..

प्रभु प्रभु प्रभु कहना जानूँ
नैना जल भरना जानूँ ..

फुल्वारी के फूल फूल के
किस्के गुन नित गाते हैं .
जब पूछा क्या कुछ पाते हो
बोल उठे मैं क्या जानूँ ..

प्रभु प्रभु प्रभु कहना जानूँ
नैना जल भरना जानूँ ..

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भजन: दर्शन दो घनश्याम नाथ



दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे ..

मंदिर मंदिर मूरत तेरी फिर भी न दीखे सूरत तेरी .
युग बीते ना आई मिलन की पूरनमासी रे ..
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे ..

द्वार दया का जब तू खोले पंचम सुर में गूंगा बोले .
अंधा देखे लंगड़ा चल कर पँहुचे काशी रे ..
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे ..

पानी पी कर प्यास बुझाऊँ नैनन को कैसे समजाऊँ .
आँख मिचौली छोड़ो अब तो घट घट वासी रे ..
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे ..