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मंगलवार, दिसंबर 01, 2009

भजन: दर्शन दो घनश्याम नाथ



दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे ..

मंदिर मंदिर मूरत तेरी फिर भी न दीखे सूरत तेरी .
युग बीते ना आई मिलन की पूरनमासी रे ..
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे ..

द्वार दया का जब तू खोले पंचम सुर में गूंगा बोले .
अंधा देखे लंगड़ा चल कर पँहुचे काशी रे ..
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे ..

पानी पी कर प्यास बुझाऊँ नैनन को कैसे समजाऊँ .
आँख मिचौली छोड़ो अब तो घट घट वासी रे ..
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे ..