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शनिवार, सितंबर 19, 2009

कीर्तन - बन्धुगणो ! मिल कहो प्रेमसे (२)

बन्धुगणो ! मिल कहो प्रेमसे - 'रघुपति राघव राजाराम ।'
मुदित चित्तसे घोष करो पुनि - 'पतित पावन सीताराम ॥'

जिह्वा-जीवन सफल करो कह -'जय रघुनन्दन, जय सियाराम ।'
ह्रदय खोल बोलो मत चूको- 'जानकिवल्लभ सीताराम ॥'

गौर रुचिर, नवघनश्याम छबि, 'जय लक्ष्मण, जय जय श्रीराम ।'
अनुगत परम अनुज रघुबरके- 'भरत-सत्रुहन शोभाधाम ॥'

उभय सखा राघवके प्यारे -'कपिपति, लंकापति अभिराम ।'
परम भक्त निष्कामशिरोमणि 'जय श्रीमारुति पूरणकाम ॥'

अति उमंगसे बोलो संतत - 'रघुपति राघव राजाराम।'
मुक्तकंठ हो सदा पुकारो- 'पतित पावन सीताराम ॥'

http://www.archive.org/download/AratiGeetMala/AGM-bandhu-gano-raghupati-raaghav.mp3

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