Tum Taji Aur Kaun Pai Jaun
by Shri V N Shrivastav 'Bhola'
from Shree Ram Sharanam
तुम तजि और कौन पै जाऊं .
काके द्वार जाइ सिर नाऊं पर हाथ कहां बिकाऊं ..
ऐसो को दाता है समरथ जाके दिये अघाऊं .
अंतकाल तुम्हरो सुमिरन गति अनत कहूं नहिं पाऊं ..
(रंक अयाची कियो सुदामा, दियो अभय पद ढ़ाऊँ ।
कामधेनु चिंतामनि दीनों, कलप वृच्छ तर छाऊँ ।)
भवसमुद्र अति देख भयानक मन में अधिक डराऊं .
कीजै कृपा सुमिरि अपनो पन सूरदास बलि जाऊं ..
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