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गुरुवार, जुलाई 10, 2014

भजन : मैं हरि बिन क्यूँ जियूँ री माई

मैं हरि बिन क्यूं जिऊं री माई॥

पिव कारण बौरी भई, ज्यूं काठहि घुन खाई॥
मैं हरि बिन क्यूं जिऊं री माई॥

ओखद मूल न संचरै, मोहि लाग्यो बौराई॥
मैं हरि बिन क्यूं जिऊं री माई॥

कमठ दादुर बसत जल में जलहि ते उपजाई।
मैं हरि बिन क्यूं जिऊं री माई॥

मीन जल के बीछुरे तन तलफि करि मरि जाई॥
मैं हरि बिन क्यूं जिऊं री माई॥

पिव ढूंढण बन बन गई, कहुं मुरली धुनि पाई।
मैं हरि बिन क्यूं जिऊं री माई॥

मीरा के प्रभु लाल गिरधर मिलि गये सुखदाई॥
मैं हरि बिन क्यूं जिऊं री माई॥

mai hari binu kyun jiyun ri mai -Meera Bhajan - composed by  VNS Bhola - sung by Nandini Srivastav

Long Version - www.youtube.com/v/W96blkFM2Ns




mai hari bin kyu jiyu ri mai - Meera Bhajan - composed by  VNS Bhola - sung by Nandini Srivastav
Short Version - www.youtube.com/v/7549Az_hqOo

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