Beet Gaye Din Bhajan Bina Re
by Anjana Bhattacharya and Premjeet Kaur
from Shri Ram Sharanam, Delhi.
बीत गये दिन भजन बिना रे।
भजन बिना रे भजन बिना रे॥
बाल अवस्था खेल गवांयो।
जब यौवन तब मान घना रे॥
लाहे कारण मूल गवाँयो।
अजहुं न गयी मन की तृष्णा रे॥
कहत कबीर सुनो भई साधो।
पार उतर गये संत जना रे॥
शुक्रवार, नवंबर 07, 2008
भजन - रघुबर तुमको मेरी लाज
Raghubar Tum Ko Meri Laj
by Premjeet Kaur
from Shree Ram Sharanam
रघुबर तुमको मेरी लाज
सदा सदा मैं शरण तिहारी
तुम हो ग़रीब नेवाज
रघुबर तुम हो ग़रीब नेवाज
रघुबर तुमको मेरी लाज
पतित उधारन विरद तिहारो
श्रवन न सुनी आवाज
हूँ तो पतित पुरातन कहिये
पार उतारो जहाज रघुबर
पार उतारो जहाज
रघुबर ...
अघ खण्डन दुख भंजन जन के
यही तिहारो काज
रघुबर यही तिहारो काज
तुलसीदास पर किरपा कीजे
भक्ति दान देहु आज
रघुबर भक्ति दान देहु आज
रघुबर तुमको मेरी लाज ...
by Premjeet Kaur
from Shree Ram Sharanam
रघुबर तुमको मेरी लाज
सदा सदा मैं शरण तिहारी
तुम हो ग़रीब नेवाज
रघुबर तुम हो ग़रीब नेवाज
रघुबर तुमको मेरी लाज
पतित उधारन विरद तिहारो
श्रवन न सुनी आवाज
हूँ तो पतित पुरातन कहिये
पार उतारो जहाज रघुबर
पार उतारो जहाज
रघुबर ...
अघ खण्डन दुख भंजन जन के
यही तिहारो काज
रघुबर यही तिहारो काज
तुलसीदास पर किरपा कीजे
भक्ति दान देहु आज
रघुबर भक्ति दान देहु आज
रघुबर तुमको मेरी लाज ...
भजन - तुम तजि और कौन पै जाऊं .
Tum Taji Aur Kaun Pai Jaun
by Shri V N Shrivastav 'Bhola'
from Shree Ram Sharanam
तुम तजि और कौन पै जाऊं .
काके द्वार जाइ सिर नाऊं पर हाथ कहां बिकाऊं ..
ऐसो को दाता है समरथ जाके दिये अघाऊं .
अंतकाल तुम्हरो सुमिरन गति अनत कहूं नहिं पाऊं ..
(रंक अयाची कियो सुदामा, दियो अभय पद ढ़ाऊँ ।
कामधेनु चिंतामनि दीनों, कलप वृच्छ तर छाऊँ ।)
भवसमुद्र अति देख भयानक मन में अधिक डराऊं .
कीजै कृपा सुमिरि अपनो पन सूरदास बलि जाऊं ..
by Shri V N Shrivastav 'Bhola'
from Shree Ram Sharanam
तुम तजि और कौन पै जाऊं .
काके द्वार जाइ सिर नाऊं पर हाथ कहां बिकाऊं ..
ऐसो को दाता है समरथ जाके दिये अघाऊं .
अंतकाल तुम्हरो सुमिरन गति अनत कहूं नहिं पाऊं ..
(रंक अयाची कियो सुदामा, दियो अभय पद ढ़ाऊँ ।
कामधेनु चिंतामनि दीनों, कलप वृच्छ तर छाऊँ ।)
भवसमुद्र अति देख भयानक मन में अधिक डराऊं .
कीजै कृपा सुमिरि अपनो पन सूरदास बलि जाऊं ..
भजन - गुरु चरनन मे शीश झुकाले
Guru Charanan Me Shish Jhuka Le
by V N Shrivastav 'Bhola
from Shree Ram Sharanam
गुरु चरनन मे शीश झुकाले
जनम सफल हो जायेगा
गुरुदर्शन से बिन माँगे ही
कृपा राम की पायेगा
जनम सफ़ल हो जायेगा
गुरु चरनन में शीश झुका ले
चहु दिश गहन अन्धेरा छाया
पग पग भरमाती है माया
राम नाम की ज्योति जगेगी
अन्धकार मिट जायेगा
गुरु चरनन में शीश झुका ले
गुरु आदेश मान मन मेरे
ध्यान जाप चिन्तन कर ले रे
जनम जनम के पाप कटेंगे
मोक्ष द्वार खुल जायेगा
गुरु चरनन में शीश झुका ले
जन्म सफ़ल हो जायेगा
by V N Shrivastav 'Bhola
from Shree Ram Sharanam
गुरु चरनन मे शीश झुकाले
जनम सफल हो जायेगा
गुरुदर्शन से बिन माँगे ही
कृपा राम की पायेगा
जनम सफ़ल हो जायेगा
गुरु चरनन में शीश झुका ले
चहु दिश गहन अन्धेरा छाया
पग पग भरमाती है माया
राम नाम की ज्योति जगेगी
अन्धकार मिट जायेगा
गुरु चरनन में शीश झुका ले
गुरु आदेश मान मन मेरे
ध्यान जाप चिन्तन कर ले रे
जनम जनम के पाप कटेंगे
मोक्ष द्वार खुल जायेगा
गुरु चरनन में शीश झुका ले
जन्म सफ़ल हो जायेगा
भजन - घूँघट का पट खोल रे
Ghuunghat Ka Pat Khol
by Anjana Bhattacharya
from Shree Ram Sharanam, Delhi.
घूँघट का पट खोल रे,
तोहे पिया मिलेंगे।
घट घट रमता राम रमैया,
कटुक बचन मत बोल रे॥
रंगमहल में दीप बरत है,
आसन से मत डोल रे॥
कहत कबीर सुनो भाई साधों,
अनहद बाजत ढोल रे॥
by Anjana Bhattacharya
from Shree Ram Sharanam, Delhi.
घूँघट का पट खोल रे,
तोहे पिया मिलेंगे।
घट घट रमता राम रमैया,
कटुक बचन मत बोल रे॥
रंगमहल में दीप बरत है,
आसन से मत डोल रे॥
कहत कबीर सुनो भाई साधों,
अनहद बाजत ढोल रे॥
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