abinasi duliha kab miliho - bhajan by Sant Kabirdas
Listen to the bhajan sung by Shri V N Shrivastav 'Bhola' by clicking here.
अबिनासी दुलहा कब मिलिहो भगतन के रछपाल !!
जल उपजी जल ही सो नेहा, रटत पियास पियास ,
मैं ठाढ़ी बिरहन मग जोहूँ , प्रियतम तुमरी आस !! टेक !!
छोड़े नेह गेह, लगि तुमसों , भयी चरण लवलीन ,
तालामेलि होत घट भीतर , जैसे जल बिन मीन !! टेक !!
दिवस नभूख ,रैननहिं निदिया ,घरआँगन न सुहावे ,
सेजरिया बैरन भइ हमको , जाबत रेन बिहावे !! टेक !!
हमतो तुमरी दासी सजना, तुम हमरे भरतार ,
दीनदयाल दया करि आवो, समरथ सिरजन हार !! टेक !!
कह कबीर सुन जोगिनी, तो तन में मन हि मिलाय.
तुम्हरी प्रीति के कारने, हो बहुरि मिलिहंइ आय !! टेक !!
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अबिनासी दुलहा कब मिलिहो भगतन के रछपाल !!
जल उपजी जल ही सो नेहा, रटत पियास पियास ,
मैं ठाढ़ी बिरहन मग जोहूँ , प्रियतम तुमरी आस !! टेक !!
छोड़े नेह गेह, लगि तुमसों , भयी चरण लवलीन ,
तालामेलि होत घट भीतर , जैसे जल बिन मीन !! टेक !!
दिवस नभूख ,रैननहिं निदिया ,घरआँगन न सुहावे ,
सेजरिया बैरन भइ हमको , जाबत रेन बिहावे !! टेक !!
हमतो तुमरी दासी सजना, तुम हमरे भरतार ,
दीनदयाल दया करि आवो, समरथ सिरजन हार !! टेक !!
कह कबीर सुन जोगिनी, तो तन में मन हि मिलाय.
तुम्हरी प्रीति के कारने, हो बहुरि मिलिहंइ आय !! टेक !!
1 टिप्पणी:
जय श्री राम
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