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शुक्रवार, सितंबर 20, 2013

भजन : सुनि कान्हा तेरी बांसुरी

Listen to the bhajan -
Suni Kanha Teri Bansuri - MP3 Audio -
by Sau. Induja Shrivastav


सुनि कान्हा तेरी बांसुरी
बांसुरी तेरी जादू भरी

सारा गोकुल लगा झूमने
क्या अजब मोहिनी छा गयी
मुग्ध यमुना थिरकने लगी
तान बंसी की तड़पा गयी
छवि मन में बसी सांवरी

सुनि कान्हा तेरी बांसुरी
बांसुरी तेरी जादू भरी

हौले से कोई धुन छेड के
तेरी मुरली तो चुप हो गयी
सात स्वर के भंवर में  कहीं
मेरे मन की कली खो गयी
मैं तो जैसे हुई बावरी

सुनि कान्हा तेरी बांसुरी 
बांसुरी तेरी जादू भरी

Thanks to Induja Bhabhi for the lyrics



Updated on Sept 20, 2013

Thanks to Gita Jiji for the youtube link with this non-filmi bhajan by Geeta Dutt.
 

शनिवार, सितंबर 14, 2013

रामचरितमानस से - सुन्दरकाण्ड पाठ

Reposting with complete Sundarkand text and audio on Feb 18, 2018

Here is the text and audio for the initial portion of Sundar Kand from Shri Ram Charit Manas. Samput text to be used before and  after every doha, chhanda etc. during Sundarkand or Ramayan Path is given in 'red'.

MP3 Audio

कथा प्रारम्भ होत है, सुनहु वीर हनुमान |
राम लक्षमण जानकी, करहुँ सदा कल्याण ॥


श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ॥


बुद्धिहीन तनु जानिके,सुमिरो पवन कुमार |
बल बुद्धि विद्या देहूं मोहि,हरहु कलेश विकार ||


श्री गणेशाय नमः
श्रीजानकीवल्लभो विजयते

श्रीरामचरितमानस
पञ्चम सोपान
सुन्दरकाण्ड

श्लोक

शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं
ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम् ।
रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं
वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूड़ामणिम्॥१॥

नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये
सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा।
भक्तिं प्रयच्छ रघुपुङ्गव निर्भरां मे
कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च॥२॥

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥३॥

श्रवन सुजसु सुनि आयउँ प्रभु भंजन भव भीर ।
त्राहि त्राहि आरति हरन सरन सुखद रघुबीर ।।

सखा सोच त्यागहु बल मोरें। सब बिधि घटब काज मैं तोरें॥
प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदयँ राखि कौसलपुर राजा ।।

जामवंत के बचन सुहाए। सुनि हनुमंत हृदय अति भाए॥
तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई। सहि दुख कंद मूल फल खाई॥
जब लगि आवौं सीतहि देखी। होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी॥
यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा। चलेउ हरषि हियँ धरि रघुनाथा॥
सिंधु तीर एक भूधर सुंदर। कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर॥
बार बार रघुबीर सँभारी। तरकेउ पवनतनय बल भारी॥
जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता। चलेउ सो गा पाताल तुरंता॥
जिमि अमोघ रघुपति कर बाना। एही भाँति चलेउ हनुमाना॥
जलनिधि रघुपति दूत बिचारी। तैं मैनाक होहि श्रमहारी॥

हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम।
राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम॥१॥

श्रवन सुजसु सुनि आयउँ प्रभु भंजन भव भीर ।
त्राहि त्राहि आरति हरन सरन सुखद रघुबीर ।।

सखा सोच त्यागहु बल मोरें। सब बिधि घटब काज मैं तोरें॥
प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदयँ राखि कौसलपुर राजा ।।

जात पवनसुत देवन्ह देखा। जानैं कहुँ बल बुद्धि बिसेषा॥
सुरसा नाम अहिन्ह कै माता। पठइन्हि आइ कही तेहिं बाता॥
आजु सुरन्ह मोहि दीन्ह अहारा। सुनत बचन कह पवनकुमारा॥
राम काजु करि फिरि मैं आवौं। सीता कइ सुधि प्रभुहि सुनावौं॥
तब तव बदन पैठिहउँ आई। सत्य कहउँ मोहि जान दे माई॥
कबनेहुँ जतन देइ नहिं जाना। ग्रससि न मोहि कहेउ हनुमाना॥
जोजन भरि तेहिं बदनु पसारा। कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा॥
सोरह जोजन मुख तेहिं ठयऊ। तुरत पवनसुत बत्तिस भयऊ॥
जस जस सुरसा बदनु बढ़ावा। तासु दून कपि रूप देखावा॥
सत जोजन तेहिं आनन कीन्हा। अति लघु रूप पवनसुत लीन्हा॥
बदन पइठि पुनि बाहेर आवा। मागा बिदा ताहि सिरु नावा॥
मोहि सुरन्ह जेहि लागि पठावा। बुधि बल मरमु तोर मै पावा॥

राम काजु सबु करिहहु तुम्ह बल बुद्धि निधान।
आसिष देह गई सो हरषि चलेउ हनुमान॥२॥

श्रवन सुजसु सुनि आयउँ प्रभु भंजन भव भीर ।
त्राहि त्राहि आरति हरन सरन सुखद रघुबीर ।।

सखा सोच त्यागहु बल मोरें। सब बिधि घटब काज मैं तोरें॥
प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदयँ राखि कौसलपुर राजा ।।

बुधवार, सितंबर 11, 2013

भजन : प्रभुजी चले आना

 


कभी राम बनके कभी श्याम बनके 
चले आना प्रभुजी चले आना....

तुम राम रूप में आना, तुम राम रूप में आना
सीता साथ लेके, धनुष हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना...

तुम श्याम रूप में आना, तुम श्याम रूप में आना,
राधा साथ लेके, मुरली हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना...

तुम शिव के रूप में आना, तुम शिव के रूप में आना..
गौरा साथ लेके , डमरू हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना...

तुम विष्णु रूप में आना, तुम विष्णु रूप में आना,
लक्ष्मी साथ लेके, चक्र हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना...

तुम गणपति रूप में आना, तुम गणपति रूप में आना
रिद्धि साथ लेके, सिद्धि साथ लेके ,
चले आना प्रभुजी चले आना....

कभी राम बनके कभी श्याम बनके 
चले आना प्रभुजी चले आना...

मंगलवार, सितंबर 10, 2013

भजन : नाचत प्रिय गणपति राजा



Ganesh Bhajan by Kirti Anurag (Chhavi Bhaiya)

भजन: सिद्धि विनायक मंगल दाता


ॐ गणपती नमो नम: 
ॐ गणपती नमो नम: 

सिद्धि विनायक मङ्गल दाता
मङ्गल कर दो काज
आये हैं हम शरण तुम्हारी
शरण तुम्हारी आज
अष्ट विनायक गणपती,
विघ्न हरो हे गणपती
करुणामय तुम गणपती
मङ्गलमय तुम गणपती

सिद्धि विनायक मङ्गल दाता
मङ्गल कर दो काज
आये हैं हम शरण तुम्हारी
शरण तुम्हारी आज
ॐ गणपती नमो नम: 
ॐ गणपती नमो नम: 

हर शुभ काज में प्रथम पूज्य हो
हे गणपति तुम मङ्गलमय हो
हम भक्तों के भाग्य विधाता
दो वरदान हमें तुम दाता
अष्ट विनायक गणपती,
विघ्न हरो हे गणपती
करुणामय तुम गणपती
मङ्गलमय तुम गणपती

सिद्धि विनायक मङ्गल दाता
मङ्गल कर दो काज
आये हैं हम शरण तुम्हारी
शरण तुम्हारी आज
ॐ गणपती नमो नम: 
ॐ गणपती नमो नम: 

हे गणपति तुम्हारी महिमा
का हम करें गुण गान
चारों ओर है फैली आभा
गणपति तुम हो महान  
अष्ट विनायक गणपती,
विघ्न हरो हे गणपती
करुणामय तुम गणपती
मङ्गलमय तुम गणपती

सिद्धि विनायक मङ्गल दाता
मङ्गल कर दो काज
आये हैं हम शरण तुम्हारी
शरण तुम्हारी आज
ॐ गणपती नमो नम:
ॐ गणपती नमो नम: 

भक्तजनों का तुमको गजानन
नमन है बारम्बार
आरती गायें भक्तजन और
हो रही जय जयकार
अष्ट विनायक गणपती,
विघ्न हरो हे गणपती
करुणामय तुम गणपती
मङ्गलमय तुम गणपती

सिद्धि विनायक मङ्गल दाता
मङ्गल कर दो काज
आये हैं हम शरण तुम्हारी
शरण तुम्हारी आज
ॐ गणपती नमो नम:
ॐ गणपती नमो नम: 
ॐ गणपती नमो नम:
ॐ गणपती नमो नम: 

Thanks to Geeta Jiji for the youtube link

सोमवार, सितंबर 09, 2013

भजन : शुभ दिन प्रथम गणेश मनाओ

शुभ दिन प्रथम गणेश मनाओ

कार्य सिद्धि की करो कामना ।
तुरत हि मन वान्छित फल पाओ ।

अन्तर मन हो ध्यान लगाओ ।
कृपा सिन्धु के दरशन पाओ ।

श्रद्धा भगति सहित निज मन मे ।
मंगल दीप जलाओ जलाओ ।

सेन्दुर तुलसी मेवा मिसरी ।
पुष्प हार नैवेद्य चढ़ाओ ।

मेवे मोदक भोग लगाकर ।
लम्बोदर का जी बहलाओ ।

एक दन्त अति दयावन्त हैं।
उन्हें रिझावो नाचो गाओ ।

सर्व प्रथम गण नाथ मनाओ

ganapati pujan vidhi - Part 1

The following puja vidhi for ganapati pujan is taken from 'Satyanarayana ki Katha' by Shri Pandit Dinanath Bhargava Dinesh. It has hindi verse translation along with the sanskrit shlokas.


MP3 Audio

श्री गणपति ध्यान तथा आवाहन

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय,
लम्बोदराय सकलाय जगत्‌ हिताय ।
नागाननाय श्रुतियज्ञभूषिताय,
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः गणपते !
इहागच्छ इहातिष्ठ सुप्रतिष्ठो भव
मम पूजा गृहाण !

गणानान्त्वा गणपति (गुँ) हवामहे
प्रियाणान्त्वा प्रियपति (गुँ) हवामहे
निधिनान्त्वा निधिपति (गुँ) हवामहे
वसो मम ।
आहमजानि गर्भधमात्वमजासि गर्भधम्‌ ॥

देवों के प्रिय विघ्ननियन्ता, लम्बोदर भव-भय हारी ।
गिरिजानन्दन देव गजानन, यज्ञ-विभूषित श्रुतिधारी ॥
मंगलकारी दुःख-विदारी, तेजोमय जय वरदायक ।
बार-बार जय नमस्कार, स्वीकार करो हे गणनायक ॥

देव आइये यहाँ बैठिये, पूजा को करिये स्वीकार ।
भूर्भुवः स्वः सुख समृद्धि के, खोल दीजिये मंगल द्वार ॥

गणनायक वर बुद्धि विधायक, सदा सहायक भय-भंजन ।
प्रियपति, अति प्रिय वस्तु प्रदायक, जगत्राता जन-मन-रंजन ॥
निधिपति, नव-निधियों के दाता, भाग्य-विधाता भव-भावन ।
श्रद्धा से हम करते सादर, देव! आपका आवाहन ॥
विश्व उदर में टिका आपके, विश्वरूप गणराज महान ।
सर्व शक्ति संचारक  तारक, दो अपने स्वरूप का ज्ञान ॥

रविवार, सितंबर 08, 2013

शुक्रवार, सितंबर 06, 2013

भजन: राम का गुणगान करिये

राम का गुणगान करिये, राम का गुणगान करिये।
राम प्रभु की भद्रता का, सभ्यता का ध्यान धरिये॥

राम के गुण गुणचिरंतन,
राम गुण सुमिरन रतन धन।
मनुजता को कर विभूषित,
मनुज को धनवान करिये, ध्यान धरिये॥

सगुण ब्रह्म स्वरुप सुन्दर,
सुजन रंजन रूप सुखकर।
राम आत्माराम,
आत्माराम का सम्मान करिये, ध्यान धरिये॥

Listen to the bhajan -
Ram Ka Gun Gan Kariye
MP3 Audio by Mudita Nigam

गुरुवार, सितंबर 05, 2013

भजन : राम नाम लौ लागी

राम नाम लौ लागी ।
अब मोहे राम नाम लौ लागी ॥

उदय हुआ शुभ भाग्य का भानु,
भक्ति भवानी जागी ॥१॥

मिट गये संशय भव भय भारे,
भ्रांति भूल भी भागी ॥२॥

पाप हरण श्री राम चरण का,
मन बन गया अनुरागी ॥३॥

Listen to the bhajan - 'Ram Nam Lau Lagi' - in the voice of Shri Jagannath PrasadJi Shrivastav