प्रातः स्मरणीय पूज्य स्वामी सत्यानन्द जी महाराज कृत
"भक्ति प्रकाश" से
सत्य ज्ञान आनंद के परम धाम श्री राम |
पुलकित हो मेरा तुझे होवे बहु प्रणाम ||
आया तेरे द्वार पर, दुखी अबल तव बाल |
पावन अपने प्रेम से, करिये इसे निहाल ||
पावन तेरा नाम है, पावन तेरा धाम |
अतिशय पावन रूप तू, पावन तेरा काम ||
निश्चय अपने नाम का, भक्ति प्रेम प्रकाश |
दे निश्चय निज रूप का, अपना दृढ़ विश्वास ||
मेरा तन मंदिर बने, मन में नाम बसाय |
वाणी में हो कीर्तन, परम प्रेम में आय ||
उत्तम मेरे कर्म हों, राम इच्छा अनुसार |
तुझमें सब जन ही बनें, रत्न पिरोए तार ||
जय विजय बसे देश में, फैले सुनीति न्याय |
स्व पर का भय भी कभी, जन को नहीं सताय ||
मार्ग सत्य दिखाइए, संत सुजन का पाथ |
पाप से हमें बचाइए, पकड़ हमारा हाथ ||
भक्ति प्रेम से सींचिये, कर के दया दयाल |
अपनी श्रद्धा दान कर, सबको करो निहाल ||
तेरी जय जयकार हो, दश दिश चारों कूंट |
नाम अमीरस मधुर का, पान करे सब घूँट ||
नाम नाद की गूँजती, मधुर सुरीली तान |
राम नाम के शब्द को, सुने सभी के कान ||
जय जय तेरी बोल कर, तेरे गीत को गाय |
तेरा यश वर्णन करूँ, तेरा नाम जपाय ||
निज निश्चय का तेज दे, प्रीति किरण के साथ |
साथ रहे शुभ कर्म में, मंगलमय तव हाथ ||
गूंजे मधुमय नाम की, ध्वनि नाभि के धाम |
हृदय मस्तक कमल में राम राम ही राम ||
मुझे भरोसा राम तू, दे अपना अनमोल ||
रहूँ मस्त निश्चिन्त मैं, कभी ना जाऊं डोल ||
मुझे भरोसा परम है, राम राम ही राम |
मेरी जीवन-ज्योति है, वही मेरा विश्राम ||
2 टिप्पणियां:
Namo namah gurudev tumko namo namah
जय श्री राम
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