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गुरुवार, अक्तूबर 02, 2008

कीर्तन - राधे रानी की जय

राधे मेरी स्वामिनी मैं राधे को दास .
जनम जनम मोहे दीजिये श्री वृन्दावन वास ..
वृन्दावन सो वन नहीं नन्दगांव सो गांव .
बंसीवट सो वट नहीं कृष्ण नाम सो नाम ..

राधे रानी की जय महारानी की जय .
बोलो बरसाने वाली की जय जय जय ..

श्याम प्यारे की जय बंसीवारे की जय .
बोलो पीत पट वारे की जय जय जय ..

ठकुरानी की जय व्रजरानी की जय .
वृषभानु दुलारी की जय जय जय ..

1 टिप्पणी:

राजेंद्र माहेश्वरी ने कहा…

हिंदी भाषा को इन्टरनेट जगत मे लोकप्रिय करने के लिए आपका साधुवाद |