निःशुल्क सीखिये और जी भर के गाइए,
सीखने के साथ साथ अपने इष्ट को रिझाइये,
मन वांछित फल पाइये
इन में से अनेक भजनों के लिखने और गाने की प्रेरणा पारम्परिक रचनाओं से मिली है, पुरातन उन सभी अज्ञेय रचनाकारों एवं संगीतज्ञों का गुरुत्व शिरोधार्य है !
- अंजनी सुत हे पवन दुलारे , हनुमत लाल राम के प्यारे !! शब्द स्वर = भोला
- अब तुम कब सुमिरोगे राम जिवडा दो दिन को मेहमान !! पारंपरिक - एमपी3
- गुरु की कृपा दृष्टि हो जिसपर !! शब्द स्वर = भोला
- गुरु चरनन में ध्यान लगाऊँ !! प्रेरणा स्रोत - पंडित जसराज
- गुरु बिन कौन सम्हारे !! शब्द स्वर = भोला
- जय शिव शंकर औगढ़ दानी, विश्वनाथ विश्वम्भर स्वामी !! शब्द स्वर = भोला
- तुझसे हमने दिल है लगाया !! शब्द स्वर = भोला
- तेरे चरणों में प्यारे अय पिता !! प्रेरणा - राधास्वामी सत्संग - स्वर = भोला
- दाता राम दिए ही जाता, भिक्षुक मन पर नहीं अघाता !! शब्द स्वर = भोला
- पायो निधि राम नाम !! शब्द स्वर - व्ही के मेहरोत्रा तथा भोला
- बिरज में धूम मचायो कान्हा !! होली !! = स्वर भोला
- रहे जनम जनम तेरा ध्यान यही वर दो मेरे राम !! प्रेरणा पारम्परिक - शब्द-स्वर = भोला
- राम बोलो राम !! शब्द स्वर = भोला
- राम राम काहे ना बोले !! प्रेरणा - मिश्र बन्धु - संशोधित शब्द एवं स्वर = भोला
- राम राम बोलो !! शब्द स्वर = भोला - एमपी3
- राम हि राम बस राम हि राम, और नाही काहू सों काम !! शब्द स्वर = भोला
- रोम रोम में रमा हुआ है मेरा राम रमैया तू !! शब्द स्वर = भोला
- शंकर शिव शम्भु साधु संतन सुखकारी !! शब्द स्वर = भोला
- श्याम आये नैनों में बन गयी मैं सांवरी !! प्रेरणा - आकाशवाणी = स्वर - भोला
- हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम !! पारंपरिक - स्वर = भोला
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महावीर बिनवउँ हनुमाना से साभार उद्धृत