Listen to the Holi, Mohan Ajab Khilari` in the voice of Shri Abhay Shrivastava
मोहन अजब खिलाड़ी, देखो होली कौतुक भारी
मोहन अजब...
नर तन धर सोई नट नागर, श्री वृषभानु दुलारी, (२)
दिखलावत नित नये तमाशे, (२)
चतुरन बहुत विचारी, बुद्धि सबकी पचि हारी
मोहन अजब...
मन मटकी भर प्रेम रंग से, सुचिता की पिचकारी (२)
तक तक मारिये श्याम सुंदर पर, (२)
चूके न अवसर भारी, कपट को घूंघट हटा री
मोहन अजब...
ज्ञान गुलाल अबीर भक्त को, याको चन्दन लगा री (२)
विनती ये मधुरेश चरण की, (२)
आवागमन मिटा री, बोलो, जय कृष्ण मुरारी
मोहन अजब...
variation
माय मोह जाल के माँही, सृष्टि फँसा कर सारी (२)
दिखलावत नित नये तमाशे, (२)
चतुरन बहुत विचारी, बुद्धि सबकी थक हारी
मोहन अजब...
नर तन धर सोई नट नागर, सुंदर श्री गिरधारी, (२)
नन्द नन्दन श्री कुंज बिहारी, (२)
खेलत होली भारी, बोलो, जय कृष्ण मुरारी
मोहन अजब...