जायेगी लाज तुम्हारी
नाथ मेरो कहा बिगड़े हो
भूमि विहीन पाण्डव सुत बैठे
कहिये न पैख प्रबल पारथ की, भीम गदा महि डारी
नाथ मेरो कहा बिगडे हो ...
सूर समूह भूप सब बैठे, बड़े बड़े वृतधारी
भीष्म द्रोेण कर्ण दुषाशन, जिन्होंने आपत डारी
नाथ मेरो कहा बिगड़े हो ...
तुम तो दीनानाथ कहावत, मैं अति दीन दुखारी
जैसे जल बिन मीन जो तडपै, सोई गति भई हमारी
नाथ मेरो कहा बिगड़े हो ...
हम पति पाँच, पांचन के तुम पति, मो पति काहे बिसारी
सूर स्याम पाछे पछितहिये, कि जब मुझे देखो उघारी
नाथ मेरो कहा बिगड़े हो ...
5 टिप्पणियां:
भजन लेखक का नाम भी अवश्य लिखा करें..
सुर स्याम बाके पति कहियो पंक्ति के स्थान पर
सूर स्याम पाछे पछितहिये।
होना चाहिए
कृष्णभक्त सूरदास जी ने ३१००० भजनों को प्रभु चरण मे अर्पित करने का संकल्प लिया था किन्तु १८००० भजन बनाने के बाद ही उनका स्वर्गवास हो गया। उनके भजन
" सूरदास प्रभु" की छाप से लिखे गये थे। तब उनके एक शिष्य श्यामसुन्दर ने बकाया १३००० भजनों का अपने गुरूदेव का संकल्पपूरा करने का बीडा उठाया और सभी १३००० भजनों मे" सूर स्याम" प्रभु की छाप लगाकर सूररदास जी का संकल्प पूरा किया।
क्या मुझे ये भजन पूरा मिल सकता है किसी ग्रंथ या लिंक पर कृपया मदद करें मुझे ये भजन चाहिए।
Jai shree krishna
एक टिप्पणी भेजें