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जाने अनजाने रे, तू ही मन भाया. (२)
ले चल अपनी नगरिया, मोहे दे के बांहों का सहारा . (२)
जाने अनजाने रे, तू ही मन भाया,
तू ही मन भाया ..
अब तो रंग गयी गिरिधर, तेरे ही रंग में,
सांवरा सलोना मेरो, बस गयो मेरे मन में,
जानूँ ना प्रीत की रीत सांवरिया ,
ले चल अपनी नगरिया, मोहे दे के बांहों का सहारा .
जाने अनजाने रे, तू ही मन भाया. (२)
तू ही मन भाया ..
जग के बंधन गिरिधर, कैसे मैं तोड़ चलूं
तू ही अब राह दिखा दे, जिस पे मैं दौड़ चलूँ ,
राह ना सूझे, सांवरिया,
ले चल अपनी नगरिया, मोहे दे के बांहों का सहारा .
जाने अनजाने रे, तू ही मन भाया.
तू ही मन भाया .. (३)
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