जब से तोरे संग नेहा लागे कान्हा
दूजा नाहिं मन भायो
दूजा नाहीं मन भायो
मनवा मोरा इत उत डोलत
इक पल चैन न पाए
तोरी प्रीत की डोरी संग बंध
इत उत जा ना पाए
चरणों में मुझे ले लो प्रभुजी
अब ना भटका जाए
आ जा रे मोरे कान्हा
आ जा रे (३)
दोउ नैना बाट निहारे तोरी
हर पल बरसत जाए
आवन की तोरी आस ले कर
इक पल झपक ना पाए
मन मंदिर में आ जा प्रभुजी
अब ना जाने दूंगी
आ जा रे मोरे कान्हा तू
आ जा रे (३)
मन ही तेरा कृष्ण कन्हैया
मन ही तेरी राधा
जग में रह कर जो भी करता
है उसकी अभिलाषा
दे ऐसा वरदान मधु अब
मधु श्याम मन भाये
आ जा रे मोरे कान्हा तू
आ जा रे (३)
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