यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, अगस्त 12, 2008

रघुकुल प्रगटे हैं रघुबीर ..

रघुकुल प्रगटे हैं रघुबीर ..

देस देस से टीको आयो रतन कनक मनि हीर .

घर घर मंगल होत बधाई भै पुरवासिन भीर .

आनंद मगन होइ सब डोलत कछु ना सौध शरीर .

मागध बंदी सबै लुटावैं गौ गयंद हय चीर .

देत असीस सूर चिर जीवौ रामचन्द्र रणधीर .

भजन - ठुमक चलत रामचंद्र

ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां ..

किलकि किलकि उठत धाय
गिरत भूमि लटपटाय .
धाय मात गोद लेत
दशरथ की रनियां ..

अंचल रज अंग झारि
विविध भांति सो दुलारि .
तन मन धन वारि वारि
कहत मृदु बचनियां ..

विद्रुम से अरुण अधर
बोलत मुख मधुर मधुर .
सुभग नासिका में चारु
लटकत लटकनियां ..

तुलसीदास अति आनंद
देख के मुखारविंद .
रघुवर छबि के समान
रघुवर छबि बनियां ..


mp3 audio

सोमवार, अगस्त 11, 2008

भजन - श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन ..

श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम् .
नवकञ्ज लोचन कञ्ज मुखकर कञ्जपद कञ्जारुणम् .. १..

कंदर्प अगणित अमित छबि नव नील नीरज सुन्दरम् .
पटपीत मानहुं तड़ित रुचि सुचि नौमि जनक सुतावरम् .. २..

भजु दीन बन्धु दिनेश दानव दैत्यवंशनिकन्दनम् .
रघुनन्द आनंदकंद कोशल चन्द दशरथ नन्दनम् .. ३..

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदार अङ्ग विभूषणम् .
आजानुभुज सर चापधर सङ्ग्राम जित खरदूषणम् .. ४..

इति वदति तुलसीदास शङ्कर शेष मुनि मनरञ्जनम् .
मम हृदयकञ्ज निवास कुरु कामादिखलदलमञ्जनम् .. ५..


mp3 audio