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बुधवार, मई 28, 2025

रे मन प्रभु से प्रीति करो - अतुल


रे मन प्रभु से प्रीति करो।

प्रभु के प्रेम भक्ति श्रद्धा से,
अपना आप भरो।

ज्यों चकोर चंदा बिन व्याकुल 
दीवाना हो जाए, 
जल बिन मीन तड़प कर जैसे,
अपनी जान गँवाए ।
रह न सको बिन प्रभु के तुम भी 
ऐसा ध्यान धरो,  ऐसा ध्यान धरो।।

रे मन प्रभु से प्रीति करो।
प्रभु के प्रेम भक्ति श्रद्धा से,
अपना आप भरो।
रे मन प्रभु से प्रीति करो।

ज्यूँ पुकार नित करे पपीहा, 
पी पी नाम पुकारे,
प्रेम भक्ति में प्रभु के ऐसे, 
हो जाओ मतवारे।
ज्यों पतंग जल जाए ज्योति पर 
ऐसे प्रेम करो,  ऐसे प्रेम करो।।

रे मन प्रभु से प्रीति करो।
प्रभु के प्रेम भक्ति श्रद्धा से,
अपना आप भरो।
रे मन प्रभु से प्रीति करो।

ऐसी प्रीति करो तुम प्रभु से,
प्रभु तुम माहिं समाये।
बने आरती पूजा जीवन,
रसना हरि गुण गाये।
राम नाम आधार लिये तुम,
इस जग में विचरो, इस जग में विचरो।।

रे मन प्रभु से प्रीति करो।



गजाधर फूफाजी इस भजन को बहुत ही भक्तिभाव से गाते थे - अतुल

रचना: अज्ञात

स्वरकार: श्री गजाधर प्रसाद श्रीवास्तव
गायक: श्री अतुल श्रीवास्तव

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