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शुक्रवार, मई 30, 2025

जय कृष्ण हरे श्री कृष्ण हरे


जय कृष्ण हरे श्री कृष्ण हरे .
दुखियों के दुख दूर करे 
जय जय जय कृष्ण हरे ..

जब चारों तरफ़ अंधियारा हो 
आशा का दूर किनारा हो .
जब कोई ना खेवन हारा हो 
तब तू ही बेड़ा पार करे .
तू ही बेड़ा पार करे 
जय जय जय कृष्ण हरे ..

तू चाहे तो सब कुछ कर दे 
विष को भी अमृत कर दे .
पूरण कर दे उसकी आशा 
जो भी तेरा ध्यान धरे .
जो भी तेरा ध्यान धरे 
जय जय जय कृष्ण हरे ..

जय कृष्ण हरे श्री कृष्ण हरे .
दुखियों के दुख दूर करे 
जय जय जय कृष्ण हरे ..

बुधवार, मई 28, 2025

रे मन प्रभु से प्रीति करो - अतुल


रे मन प्रभु से प्रीति करो।

प्रभु के प्रेम भक्ति श्रद्धा से,
अपना आप भरो।

ज्यों चकोर चंदा बिन व्याकुल 
दीवाना हो जाए, 
जल बिन मीन तड़प कर जैसे,
अपनी जान गँवाए ।
रह न सको बिन प्रभु के तुम भी 
ऐसा ध्यान धरो,  ऐसा ध्यान धरो।।

रे मन प्रभु से प्रीति करो।
प्रभु के प्रेम भक्ति श्रद्धा से,
अपना आप भरो।
रे मन प्रभु से प्रीति करो।

ज्यूँ पुकार नित करे पपीहा, 
पी पी नाम पुकारे,
प्रेम भक्ति में प्रभु के ऐसे, 
हो जाओ मतवारे।
ज्यों पतंग जल जाए ज्योति पर 
ऐसे प्रेम करो,  ऐसे प्रेम करो।।

रे मन प्रभु से प्रीति करो।
प्रभु के प्रेम भक्ति श्रद्धा से,
अपना आप भरो।
रे मन प्रभु से प्रीति करो।

ऐसी प्रीति करो तुम प्रभु से,
प्रभु तुम माहिं समाये।
बने आरती पूजा जीवन,
रसना हरि गुण गाये।
राम नाम आधार लिये तुम,
इस जग में विचरो, इस जग में विचरो।।

रे मन प्रभु से प्रीति करो।



गजाधर फूफाजी इस भजन को बहुत ही भक्तिभाव से गाते थे - अतुल

रचना: जियालाल वसंत

स्वरकार: श्री गजाधर प्रसाद श्रीवास्तव
गायक: श्री अतुल श्रीवास्तव

रविवार, मई 25, 2025

नित्य सखा श्री राम हमारे -  व्ही. एन. श्रीवास्तव


हे राम हे राम 
मेरे राम मेरे राम 

नित्य सखा श्री राम हमारे 
मन क्यों इत उत बाँह पसारे
नित्य सखा श्री राम हमारे 
मन क्यों इत उत बाँह पसारे 
मन क्यों इत उत बाँह पसारे 

तू स्वार्थी थोड़ा सुख पाकर 
देने वाले को बिसराता
तू स्वार्थी थोड़ा सुख पाकर 
देने वाले को बिसराता
पर वो दाता सखा विधाता 
पर वो दाता सखा विधाता 
तुझको पल भर भी न भुलाता 
पर वो दाता सखा विधाता 
तुमको पल भर भी न भुलाता
तेरी रक्षा करने को वो 
तेरी रक्षा करने को वो 
हरदम रहता पास तुम्हारे 
पास तुम्हारे 

नित्य सखा श्री राम हमारे 
मन क्यों इत उत बाँह पसारे
नित्य सखा श्री राम हमारे 
मन क्यों इत उत बाँह पसारे
मन क्यों इत उत बाँह पसारे
मन क्यों इत उत बाँह पसार 
बाँह पसारे 

राम मेरे राम 
मेरे राम मेरे राम 
हे राम हे राम हे राम 
हे राम हे राम हे राम  
मेरे राम मेरे राम 

माया ठगनी बाँह पाश धर 
माया ठगनी बाँह पाश धर 
तुझको विषय माल पहिरावे 
तुझको विषय माल पहिरावे 
डम डम डमरू थाप काम को 
डम डम डमरू थाप काम को 
बेबस कर ये तुझे नचावे 
बेबस कर ये तुझे नचावे 
डम डम डमरू थाप काम को 
बेबस करके तुझे नचावे 
ऐसे में श्री राम सखा बन 
ऐसे में श्री राम सखा, तव  
बंधन काट, कु त्रास निवारे 
बंधन काट कु त्रास निवारे 

नित्य सखा श्री राम हमारे 
मन क्यों इत उत बाँह पसारे 
नित्य सखा श्री राम हमारे 
मन क्यों इत उत बाँह पसारे 

हे राम हे राम हे राम 

मेरे राम मेरे राम 
मेरे राम मेरे राम 
मेरे राम


शब्दकार, स्वरकार, गायक : व्ही. एन. श्रीवास्तव 'भोला'

दुख हरो द्वारिकानाथ


तुम कहाँ छुपे भगवान करो मत देरी |
दुःख हरो द्वारकानाथ शरण मैं तेरी ||
दुख हरो द्वारिकानाथ शरण मैं तेरी ||

यही सुना है दीनबन्धु तुम सबका दुख हर लेते |
जो निराश हैं उनकी झोली आशा से भर देते ||
अगर सुदामा होता मैं तो दौड़ द्वारका आता |
पाँव आँसुओं से धो कर मैं मन की आग बुझाता ||
तुम बनो नहीं अनजान, सुनो भगवान, करो मत देरी |
दुख हरो द्वारकानाथ शरण मैं तेरी ||

जो भी शरण तुम्हारी आता, उसको धीर बंधाते |
नहीं डूबने देते दाता, नैया पार लगाते ||
तुम न सुनोगे तो किसको मैं अपनी व्यथा सुनाऊँ |
द्वार तुम्हारा छोड़ के भगवन और कहाँ मैं जाऊँ ||
प्रभु कब से रहा पुकार, मैं तेरे द्वार, करो मत देरी |
दुख हरो द्वारकानाथ शरण मैं तेरी ||



Originally posted on 4/7/16

Repost with video by Kirti Anurag (Chhavi Bhaiya)

प्रभु तुम अन्तर्यामी

Prabhu Tum Antaryami
Music by Khayyam


प्रभु तुम अन्तर्यामी
दया करो, दया करो, हे स्वामी

अंग अंग में रंग सांवरा
गहरा होता जाये
मैं तो बस बिन मोल बिकानी
मन में तुम्ही समाये
लोग करें बदनामी
दया करो, दया करो, हे स्वामी

मन्द मन्द मुसकान मनोहर
मुख पर लट घुंघराली
अचरज क्या जो भई बावरी
देख के छवि मतवाली
बेल प्रीत की जामी
दया करो, दया करो, हे स्वामी

मैं गुणहीन, रिझाऊं कैसे
तुम को हे नटनागर
एक यही विशवास ह्रदय में
तुम हो दया के सागर
तीन लोक के स्वामी
दया करो, दया करो, हे स्वामी




Originally Published on Apr 22, 2015
Repost with new video addition, sung by Kirti Anurag (Chhavi Bhaiya)

शनिवार, मई 24, 2025

तुम्हारे साथ है श्री राम

bhajan: tumhare sath hai shri ram

तुम्हारे साथ है श्री राम, तो किस बात की चिंता
किया करते हो तुम यूं ही, सदा दिन-रात की चिंता.

उसी के हाथ में जीना उसी के हाथ में मरना,
उसी के हाथ सब खुशियां, उसी के हाथ दुख भरना,
अरे तुमको पड़ी क्या है, प्रभु के हाथ की चिंता...

तुम्हारे साथ है श्री राम तो किस बात की चिंता
किया करते हो तुम यूं ही, सदा दिन रात की चिंता

घड़ी हो संकटों की तो करो श्री राम का सिमरन
झड़ी हो झंझटों की तो करो हरि नाम जप चिंतन
मिला है साथ उसका तो भला किस साथ की चिंता

तुम्हारे साथ है श्री राम तो किस बात की चिंता...
किया करते हो तुम यूं ही, सदा दिन रात की चिंता.

उसी का नाम ले कर के तरो तुम बीच सागर से
उसी का नाम ले कर के उड़ो पर्वत के उपर से
करेगा आप अपने भक्त की औकात की चिंता

तुम्हारे साथ है श्री राम तो किस बात की चिंता...
किया करते हो तुम यूं ही, सदा दिन रात की चिंता.

उसी के नाम की धुन ध्यान से जगती हैं तकदीरें
उसी के नाम की धुन ध्यान से सधती हैं तस्वीरें
नहीं 'निर्दोष' फिर त्रिताप के उत्पात की चिंता

तुम्हारे साथ है श्री राम तो किस बात की चिंता...
किया करते हो तुम यूं ही, सदा दिन रात की चिंता.

शुक्रवार, मई 23, 2025

संत श्री स्वामी एकरसानंद जी सरस्वती से प्राप्त उपदेश

संत श्री स्वामी एकरसानंद जी सरस्वती से प्राप्त दस उपदेश - ये परमात्मा की आज्ञा है, वेद तथा गीतानुसार हैं। जो इन पर चलेगा, उसकी मुक्ति अवश्य होगी।  

पहला - संसार को स्वप्नवत जानो
दूसरा - अति हिम्मत रखो
तीसरा - अखंड प्रफुल्लित रहो, दुख में भी 
चौथा  -  परमात्मा का स्मरण करो, जितना बन सके
पांचवा - किसी  को दुःख मत दो, बने तो सुख दो 
छठा   -  सभी पर अति प्रेम रखो
सातवाँ - नूतन बालवत स्वभाव रखो
आठवाँ - मर्यादानुसार चलो
नवां     - अखंड पुरुषार्थ करो, गंगा प्रवाहवत; आलसी मत बनो
दसवां  - जिसमे तुमको नीचा देखना पड़े, ऐसा काम मत करो

बुधवार, मई 21, 2025

मेरे रोम रोम श्री राम विराजे - व्ही. एन. श्रीवास्तव


मेरे रोम रोम श्री राम विराजते  रहे, यही मेरी इच्छा  है - व्ही. एन. श्रीवास्तव 'भोला'


 रोम रोम श्रीराम बिराजे धनुष बाण ले हाथ ।
जनक लली, श्री लखन लला अरु महावीर के साथ ।।

वन्दन करते राम चरण अति हर्षित मन हनुमान ।
आतुर रक्षा करने को सज्जन भगतन के प्रान ।
अभयदान दे रहे मुझे करुणा सागर रघुनाथ ।। 

रोम रोम श्रीराम बिराजे धनुष बाण ले हाथ ।।

मुझको भला कष्ट हो कैसे, क्यों कर पीड़  सताए ।
साहस कैसे करें दुष्ट जन, मुझ पर हाथ उठाए ।
अंग संग जब मेरे हैं संकटमोचन के नाथ ।। 

रोम रोम श्रीराम बिराजे धनुष बाण ले हाथ ।। 

विघ्न हरे, सद्गुरु के आश्रम स्वयं राम जी आये । 
शाप मुक्त कर दिया अहिल्या को पग धूर लगाये ।
वैसे चिंता मुक्त हमें कर रहे राम रघुनाथ ।। 

रोम रोम श्रीराम बिराजे धनुष बाण ले हाथ ।।

रोम रोम श्रीराम बिराजे धनुष बाण ले हाथ । 
जनक लली, श्री लखन लला अरु महावीर के साथ ।।


शब्दकार, स्वरकार, गायक : व्ही. एन. श्रीवास्तव 'भोला'