जायेगी लाज तुम्हारी
नाथ मेरो कहा बिगड़े हो
भूमि विहीन पाण्डव सुत, धरनि धर्म-सुत हारी
कहिये न पैख प्रबल पारथ की, भीम गदा महि डारी
नाथ मेरो कहा बिगड़े हो ...
सूर समूह भूप सब बैठे, बड़े बड़े व्रतधारी
भीष्म द्रोण कर्ण दुःशासन, जिन्होंने आपत डारी
नाथ मेरो कहा बिगड़े हो ...
तुम तो दीनानाथ कहावत, मैं अति दीन दुखारी
जैसे जल बिन मीन जो तडपै, सोई गति भई हमारी
नाथ मेरो कहा बिगड़े हो ...
मो पति पाँच, पांचन के तुम पति, मो पति काहे बिसारी
"सूर" स्याम पाछे पछितहिये, कि जब मुझे देखो उघारी
नाथ मेरो कहा बिगड़े हो ...