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गुरुवार, अगस्त 21, 2008

तू ही बन जा मेरा मांझी

तू ही बन जा मेरा माँझी, पार लगा दे मेरी नैया .
हे नटनागर, कृष्ण कन्हैया, पार लगा दे मेरी नैया ..

इस जीवन के सागर में, हर क्षण लगता है डर मुझको .
क्या भला है, क्या बुरा है, तू ही बता दे मुझको .
हे नटनागर, कृष्ण कन्हैया, पार लगा दे मेरी नैया ..
तू ही बन जा ...

क्या तेरा और क्या मेरा है, सब कुछ तो बस सपना है .
इस जीवन के मोहजाल में, सबने सोचा अपना है .
हे नटनागर, कृष्ण कन्हैया, पार लगा दे मेरी नैया ..
तू ही बन जा ...