यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, अप्रैल 11, 2025

तू ही बन जा मेरा मांझी



तू ही बन जा मेरा माँझी, पार लगा दे मेरी नैया .
हे नटनागर, कृष्ण कन्हैया, पार लगा दे मेरी नैया ..

इस जीवन के सागर में, हर क्षण लगता है डर मुझको .
क्या भला है, क्या बुरा है, तू ही बता दे मुझको .
हे नटनागर, कृष्ण कन्हैया, पार लगा दे मेरी नैया ..
तू ही बन जा ...

क्या तेरा और क्या मेरा है, सब कुछ तो बस सपना है .
इस जीवन के मोहजाल में, सबने सोचा अपना है .
हे नटनागर, कृष्ण कन्हैया, पार लगा दे मेरी नैया ..
तू ही बन जा ...

-----------------

1971 में बाजी (मधू चंद्र) ने हैदराबाद हाउस के घर के पूजागृह में पूजा करते हुए इसकी रचना की थी ।