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शुक्रवार, जून 13, 2025

कृपा करो श्री राम - प्रीति चंद्रा



कृपा करो श्री राम ,
सब पर कृपा करो

मैं ना जानू किस विधि रीझो
अपनी नज़र मेहर की कीजो
आनंदकंद घनश्याम 
सब पर कृपा करो

आज तलक तो कोई सवाली 
तेरे दर से गया न खाली
भर दो घर में धन धान्य 
सब पर कृपा करो

गहरी नदिया निशा अंधेरी
ये  निर्दोष शरण है तेरी
लो गिरते को तुम थाम
सब पर कृपा करो

राम राम राम 
सिया राम राम राम 

बुधवार, जून 11, 2025

जो शरण आया प्रभु की - व्ही. एन. श्रीवास्तव 'भोला'


जो शरण आया प्रभु की, वह सदा सुख पायेगा।

अगम भवसागर बिना श्रम पार वह कर जायेगा।।


नाम लेते ही प्रभु का, दूर होंगे कष्ट सब।

दुसह पीडायेँ मिटेंगी, ध्यान लग जायेगा जब। 

शांति सुख के धाम का पट आप ही खुल जायेगा।। 


अनगिनत जन पार उतरे, राम नाम जहाज से।

गीध गणिका गज तरे, प्रभु नाम के ही जाप से।

नाम नैया बैठ कर भवसिंधु तू तर जायेगा।। 


जो शरण आया प्रभु की, वह सदा सुख पाएगा। 


शब्दकार, स्वरकार, गायक : व्ही. एन. श्रीवास्तव 'भोला'

सोमवार, जून 09, 2025

हरि बिन क्यूँ जीऊँ री माई - नंदिनी


हरि बिन क्यूँ जीऊँ री माय।

हरि कारण बौरी भई, जस काठहि घुन खाय।

औषध मूल न संचरै, मोहि लागौ बौराय।

कमठ दादुर बसत जलमँह, जलहि ते उपजाय।

हरि ढूढँन गई बन-बन, कहुँ मुरली धुन पाय।

मीरा के प्रभु लाल गिरधर, मिलि गये सुखदाय।

शुक्रवार, मई 30, 2025

जय कृष्ण हरे श्री कृष्ण हरे


जय कृष्ण हरे श्री कृष्ण हरे .
दुखियों के दुख दूर करे 
जय जय जय कृष्ण हरे ..

जब चारों तरफ़ अंधियारा हो 
आशा का दूर किनारा हो .
जब कोई ना खेवन हारा हो 
तब तू ही बेड़ा पार करे .
तू ही बेड़ा पार करे 
जय जय जय कृष्ण हरे ..

तू चाहे तो सब कुछ कर दे 
विष को भी अमृत कर दे .
पूरण कर दे उसकी आशा 
जो भी तेरा ध्यान धरे .
जो भी तेरा ध्यान धरे 
जय जय जय कृष्ण हरे ..

जय कृष्ण हरे श्री कृष्ण हरे .
दुखियों के दुख दूर करे 
जय जय जय कृष्ण हरे ..

बुधवार, मई 28, 2025

रे मन प्रभु से प्रीति करो - अतुल


रे मन प्रभु से प्रीति करो।

प्रभु के प्रेम भक्ति श्रद्धा से,
अपना आप भरो।

ज्यों चकोर चंदा बिन व्याकुल 
दीवाना हो जाए, 
जल बिन मीन तड़प कर जैसे,
अपनी जान गँवाए ।
रह न सको बिन प्रभु के तुम भी 
ऐसा ध्यान धरो,  ऐसा ध्यान धरो।।

रे मन प्रभु से प्रीति करो।
प्रभु के प्रेम भक्ति श्रद्धा से,
अपना आप भरो।
रे मन प्रभु से प्रीति करो।

ज्यूँ पुकार नित करे पपीहा, 
पी पी नाम पुकारे,
प्रेम भक्ति में प्रभु के ऐसे, 
हो जाओ मतवारे।
ज्यों पतंग जल जाए ज्योति पर 
ऐसे प्रेम करो,  ऐसे प्रेम करो।।

रे मन प्रभु से प्रीति करो।
प्रभु के प्रेम भक्ति श्रद्धा से,
अपना आप भरो।
रे मन प्रभु से प्रीति करो।

ऐसी प्रीति करो तुम प्रभु से,
प्रभु तुम माहिं समाये।
बने आरती पूजा जीवन,
रसना हरि गुण गाये।
राम नाम आधार लिये तुम,
इस जग में विचरो, इस जग में विचरो।।

रे मन प्रभु से प्रीति करो।



गजाधर फूफाजी इस भजन को बहुत ही भक्तिभाव से गाते थे - अतुल

रचना: जियालाल वसंत

स्वरकार: श्री गजाधर प्रसाद श्रीवास्तव
गायक: श्री अतुल श्रीवास्तव