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मंगलवार, अगस्त 23, 2011

भजन : सांवरो कन्हैया मोरे मन में बसो रे


सांवरो कन्हैया मोरे मन में बसो रे
मुरली बजाने वारो मन में बसो रे
मन में बसो रे कान्हा
तन में बसो रे
कारो कन्हैया मेरो मन में बसो रे
अरे तिरछी नजरिया वारो मन में बसो रे
माखन चुराने वारो मन में बसो रे

जमुना किनारे वो तो मुरली बजाये
गोपियन संग वो तो रास रचाए
मीठी मीठी तान सुनाये जादू डारे
अरे पीले पीताम्बर वारो मन में बसों रे
सांवरो सलोनो मेरो मन में बसो रे

गोकुल नगरिया में माखन चुराए
वृन्दावन में वो रास रचाए
मथुरा नगरिया को वो धीर बंधाए
अरे धेनु चराने वारो मन में बसो रे
मधु को रिझाने वारो मन में बसो रे

भजन : जब से लगन लगी प्रभु तेरी


हरे कृष्ण हरे कृष्ण
कृष्ण कृष्ण
राधे कृष्ण

जब से लगन लगी प्रभु तेरी
सब कुछ मैं तो भूल गयी हूँ ..

बिसर गयी क्या था मेरा
बिसर गयी अब क्या है मेरा .
अब तो लगन लगी प्रभु
तेरी तू ही जाने क्या होगा ..

जब मैं प्रभु में खो जाती हूं
मेघ प्रेम के घिर आते हैं .
मेरे मन मंदिर मे प्रभु के
चारों धाम समा जाते हैं ..

बार बार तू कहता मुझसे
जग की सेवा कर तू मन से .
इसी में मैं हूं सभी में मैं हूं
तू देखे तो सब कुछ मैं हूं ..

भजन : कान्हा रे


कान्हा रे
तू तो मुझको जाने
तू तो सब कुछ जाने
मैं तो नाचूंगी
मैं तो गाऊँगी
तेरी मुरली की धुन सुन नाचूंगी
तेरी मुरली की धुन सुन गाऊँगी
मैं तो नाचूंगी

तन और मन के भक्ति योग से
मैं बनी संवरिया
तन और मन के कर्म योग से
मैं बनी बंसुरिया
कान्हा रे
तू चाहे तो बजा ले
कान्हा रे
तू चाहे तो नचा ले

जब से श्यामा श्याम बसे है
मन मंदिर में मधु के
तब से तन बन गयी मुरलिया
श्याम श्याम ही बोले
कान्हा रे
अपने सुर में मिला ले
कान्हा रे
अपनी मुरलिया बना ले

अब तो तन बन गयी मुरलिया
श्याम श्याम ही बोले
सात सुरों के संगम से श्याम
जैसा चाहे बजाले
कान्हा रे
सुर में मोहे डुबा ले
कान्हा रे
मधु मुरलिया बना ले

मैं तो नाचूंगी
मैं तो गाऊँगी
तेरी मुरली की धुन सुन नाचूंगी
तेरी मुरली की धुन सुन गाऊँगी
मैं तो नाचूंगी