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बुधवार, मई 21, 2025

भजन - मेरे रोम रोम श्री राम विराजे - व्ही. एन. श्रीवास्तव


मेरे रोम रोम श्री राम विराजते  रहे, यही मेरी इच्छा  है - व्ही. एन. श्रीवास्तव 'भोला'


 रोम रोम श्रीराम बिराजे धनुष बाण ले हाथ ।
जनक लली, श्री लखन लला अरु महावीर के साथ ।।

वन्दन करते राम चरण अति हर्षित मन हनुमान ।
आतुर रक्षा करने को सज्जन भगतन के प्रान ।
अभयदान दे रहे मुझे करुणा सागर रघुनाथ ।। 

रोम रोम श्रीराम बिराजे धनुष बाण ले हाथ ।।

मुझको भला कष्ट हो कैसे, क्यों कर पीड़  सताए ।
साहस कैसे करें दुष्ट जन, मुझ पर हाथ उठाए ।
अंग संग जब मेरे हैं संकटमोचन के नाथ ।। 

रोम रोम श्रीराम बिराजे धनुष बाण ले हाथ ।। 

विघ्न हरे, सद्गुरु के आश्रम स्वयं राम जी आये । 
शाप मुक्त कर दिया अहिल्या को पग धूर लगाये ।
वैसे चिंता मुक्त हमें कर रहे राम रघुनाथ ।। 

रोम रोम श्रीराम बिराजे धनुष बाण ले हाथ ।।

रोम रोम श्रीराम बिराजे धनुष बाण ले हाथ । 
जनक लली, श्री लखन लला अरु महावीर के साथ ।।