रोम रोम श्रीराम बिराजे धनुष बाण ले हाथ ।
जनक लली, श्री लखन लला अरु महावीर के साथ ।।
वन्दन करते राम चरण अति हर्षित मन हनुमान ।
आतुर रक्षा करने को सज्जन भगतन के प्रान ।
अभयदान दे रहे मुझे करुणा सागर रघुनाथ ।।
रोम रोम श्रीराम बिराजे धनुष बाण ले हाथ ।।
मुझको भला कष्ट हो कैसे, क्यों कर पीड़ सताए ।
साहस कैसे करें दुष्ट जन, मुझ पर हाथ उठाए ।
अंग संग जब मेरे हैं संकटमोचन के नाथ ।।
रोम रोम श्रीराम बिराजे धनुष बाण ले हाथ ।।
विघ्न हरे, सद्गुरु के आश्रम स्वयं राम जी आये ।
शाप मुक्त कर दिया अहिल्या को पग धूर लगाये ।
वैसे चिंता मुक्त हमें कर रहे राम रघुनाथ ।।
रोम रोम श्रीराम बिराजे धनुष बाण ले हाथ ।।
रोम रोम श्रीराम बिराजे धनुष बाण ले हाथ ।
जनक लली, श्री लखन लला अरु महावीर के साथ ।।