रविवार, जून 13, 2021

भजन: जगदम्बिके जय जय जग जननी माँ

bhajan: jagadambike jay jay jaga janani maa

सरस सुपावन शक्ति हे, तेजोमयी  अपार,
हे आनंद स्वरूपिणी, मम हृदय कर उजियार,
जय माँ .....जय माँ ....

आराधन तेरा करूं, निशदिन ,आठों याम,
घट अंतर शक्ति जगे, गाऊं तव शुभ नाम,
जय माँ .....जय माँ ....

पतित-पावनी मात हे, बालक शरण तिहार,
मंगलमय वरदान दे यही विनती बारम्बार,
जय माँ .....जय माँ ..



जगदम्बिके जय जय जगजननी माँ 

जगदम्बिके जय जय जगजननी माँ 
जगदम्बिके जय जय जगजननी माँ 
क्या मनहर नाम सुहाया है 
क्या मनहर नाम सुहाया है 
वारूँ सब कुछ माँ चरणों पर 
वारूँ सब कुछ माँ चरणों पर 
मेरे मन को ये भाया है 
जगदम्बिके जय जय जगजननी माँ 
जय माँ .....जय माँ .. जय माँ .....जय माँ ..

हे प्रेमपुंज हे करुणामयि 
हे आदिशक्ति जगजननी माँ 
जय माँ .....जय माँ .. जय माँ .....
हे प्रेमपुंज हे करुणामयि 
हे आदिशक्ति जगजननी माँ 
तेरा वरद हस्त मेरे शीश रहे 
तेरा वरद हस्त मेरे शीश रहे 
बालक तेरे चरणों में आया है 
बालक तेरे चरणों में आया है 
जगदम्बिके जय जय जगजननी माँ 
जय माँ .....जय माँ .. जय माँ .....जय माँ ..

गुरुदेव के अंदर बैठ के माँ 
तुमने खेलों को खेला था 
जय माँ .....जय माँ .. जय माँ .....
गुरुदेव के अंदर बैठ के माँ 
तुमने खेलों को खेला था 
उस मंजुल वेश में आ करके 
पतितों को गले लगाया है 
दुखियों को गले लगाया है 
जगदम्बिके जय जय जगजननी माँ 
जय माँ .....जय माँ .. जय माँ .....जय माँ ..

श्रीराम तू ही श्रीकृष्ण तू ही 
दुर्गा काली श्रीराधा तू 
जय माँ .....जय माँ .. जय माँ .....
श्रीराम तू ही श्रीकृष्ण तू ही 
दुर्गा काली श्रीराधा तू 
ब्रह्मा विष्णु शिवशंकर में 
ब्रह्मा विष्णु शिवशंकर में 
तेरा ही तेज समाया है 
तेरा ही तेज समाया है 
जगदम्बिके जय जय जगजननी माँ 
जय माँ .....जय माँ .. जय माँ .....जय माँ ..

हो नमस्कार मेरा बार बार 
हे शक्ति तिहारे चरणों में 
जय माँ .....जय माँ .. जय माँ .....
हो नमस्कार मेरा बार बार 
हे शक्ति तिहारे चरणों में 
मुझ अधम पतित दुखियारे को 
मुझ अधम पतित दुखियारे को 
करुणा कर हृदय लगाया है 
करुणा कर हृदय लगाया है 
जगदम्बिके जय जय जगजननी माँ 
जय माँ .....जय माँ .. जय माँ .....जय माँ ..

माँ जो पाऊँ तुमसे पाऊँ 
जो देवे उसमें हरषाऊँ 
जय माँ .....जय माँ .. जय माँ .....
माँ जो पाऊँ तुमसे पाऊँ 
जो देवे उसमें हरषाऊँ 
कुछ रहे न मेरा अपनापन 
मैंने सर्वस्व चढ़ाया है 
जगदम्बिके जय जय जगजननी माँ 
जगदम्बिके जय जय जगजननी माँ 
क्या मनहर नाम सुहाया है 
क्या मनहर नाम सुहाया है 
वारूँ सब कुछ माँ चरणों पर 
मेरे मन को ये भाया है 
जगदम्बिके जय जय जगजननी माँ 
जय जय माँ  जय जय माँ ... 
जय जय माँ  जय जय माँ ... 
...
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Original post on October 13, 2015, Updated June 12, 2021

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही भक्तिभाव से परिपूर्ण भजन
    इस भजन के सुनने व गायन से माता के प्रति मन रम जाता है,
    जय जगदम्बे मां

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  2. काफी पुराना भजन...,बचपनमें आकाशवाणीपर मंगल प्रभात सुबहके ६ बजे के कार्यक्रममें रेडीयो पर सुनते थे |..बिचवक्त में.....कई सालोंतक बाॅलीवुड के फिल्मी गीतोंकी वजहसें ईसतरहके भक्ती रसभरे भजन सुनाई नही देते थे | पर आज काफी सालोंके बाद ये सुननेंके बाद आदिशक्ति का प्रेम और भक्ती का एहसान फिर जाग ऊभा | धन्य हो हरी ओम शरण के स्वर, उनकी ईश्वरीय मधुर आवाजकी देन सें ईस भजन को अमर किया है|

    पंडित हरि ओम शरण जी के ऐसे की भजन अब भी मुझे सुननेके बाद स्वर्गीय आनंद देते है|

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  3. बहुत पहले यह भजन सुना था और केवल एक ही स्टैंड मुझे आता था अब पूरा भजन दोबारा से सुन रहा हूं और सुनकर अनुग्रहित हो रहा हूं हरि ओम शरण जी घोषित-शत नमन

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